उदयपुर. मौत के पश्चात अंतिम संस्कार प्रत्येक व्यक्ति का शाश्वत अधिकार है और अंतरराष्ट्रीय कानून भी इसे मान्यता देते हैं. लेकिन राजस्थान के एक व्यक्ति का विदेश से शव लाने में भारत सरकार विफल नजर आ रही है. उदयपुर जिले के निवासी हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को 17 जुलाई 2021 को रूस में मौत के 5 माह बाद भी भारत नहीं भेजने के मामले में परिजनों ने गुरुवार को नई दिल्ली में विरोध-प्रदर्शन किया.
राष्ट्रपति पूतिन के भारत आगमन (Russian President Putin India Visit) से पहले परिजनों ने विरोध-प्रदर्शन कर अंतिम संस्कार के लिए भारतीय नागरिक की दिवंगत देह को भारत नहीं भेजने व रशियन सरकार द्वारा एक हिन्दू व्यक्ति को दाह संस्कार के बजाय जबरन दफनाने के निर्णय के विरोध में 6 दिसंबर को राष्ट्रपति के समक्ष आत्मदाह की चेतावनी दी है. इस मामले में उदयपुर जिले के खेरवाड़ा के गोड़वा गांव के निवासी हितेंद्र गरासिया की पत्नी व बच्चे गुरुवार को विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए कार्य करने वाले चर्मेश शर्मा के साथ नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास पहुंचे.
दूतावास पर परिजनों ने रूसी राष्ट्रपति पूतिन (Memorandum to Russian President Vladimir Putin) के नाम ज्ञापन देते हुए 6 दिसंबर को भारत आने से पहले रूस से हितेंद्र गरासिया के शव को तत्काल भारत भेजने की मांग की है. रूसी दूतावास के बाहर अपने पति की दिवंगत देह को भारत लाने की मांग करते हुए पत्नी आशा देवी की आंखें भर आईं. हितेंद्र गरासिया की बेटी उर्वशी ने कहा कि हम रूस के राष्ट्रपति से हाथ जोड़कर आग्रह (Request to President Putin) करते हैं कि वह मेरे पापा की डेड बॉडी को अंतिम संस्कार के लिए हमारे पास भेज दें. उर्वशी ने उसके पिता की डेड बॉडी को भारत नहीं भेजने पर राष्ट्रपति पूतिन के समक्ष आत्मदाह की चेतावनी दी है.
अंतराष्ट्रीय कानूनों की पालना की जाए : चर्मेश शर्मा
विदेश में संकटग्रस्त भारतीयों की सहायता के लिए कार्य करने वाले चर्मेश शर्मा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित अंतरराष्ट्रीय कानूनों व मानव अधिकार कानूनों के अनुसार किसी भी देश के व्यक्ति की कहीं पर भी मौत होने पर उसके शव को ससम्मान तरीके से अंतिम संस्कार के लिए उसके देश में भेजने का प्रावधान है. राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले आदिवासी गरीब बीपीएल परिवार के हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह को अंतिम संस्कार के लिए भारत नहीं भेजकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुला उल्लंघन किया जा रहा है.