उदयपुर. ‘घर-घर औषधि योजना’ के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला कलेक्टर चेतन देवड़ा ने बैठक कर चर्चा की. कलेक्टर ने कहा कि प्रत्येक ग्राम स्तर पर कमेटी बनाते हुए सरकार की मंशा के अनुरूप हर घर तक औषधीय पौधे पहुंचाएं जाएं. कलेक्टर देवड़ा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओऱ से वर्ष 2021 में की गई बजट घोषणा में जन स्वास्थ्य रक्षण एवं औषधीय पौधों के संरक्षण-संवर्धन के लिए चलाई जा रही ‘घर-घर औषधि योजना’ के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए शुक्रवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिला स्तरीय टास्क फोर्स कमेटी की बैठक में अधिकारियों को संबोधित कर रहे थे.
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कलेक्टर ने योजनांतर्गत इस कमेटी में कृषि, पशुपालन, आयुष व महिला एंव बाल विकास विभाग के कार्मिक-प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए पौधों के वितरण की कार्ययोजना तैयार करने, पौधों को तैयार करने और वितरण करवाने के लिए विभागों का सहयोग लेने के निर्देश दिए. उप वन संरक्षक बालाजी करी ने कहा कि जिला प्रशासन व वन विभाग के नेतृत्व में स्थानीय जनप्रतिनिधियों, पंचायतीराज संस्थाओं, विभिन्न विभागों, संस्थाओं, विद्यालयों और औद्योगिक घरानों आदि का सहयोग कर योजना को जन अभियान के रूप में क्रियान्वित किया जाएगा.
हर परिवार को पांच साल में 3 बार मिलेंगे 8-8 पौधे
बैठक में डीटीएफ के सदस्य सचिव एवं उप वन संरक्षक मुकैश सैनी ने पीपीटी के माध्यम से योजना की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि औषधीय पौधों की विविधता व गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई घर-घर औषधि योजना के तहत औषधीय पौधों की पौधशाला विकसित कर तुलसी, गिलोय, कालमेघ अश्वगंधा के दो-दो पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे. पांच वर्ष के लिए लागू की जाने वाली इस योजना में हर परिवार को 5 वर्षों में तीन बार आठ-आठ औषधीय पौधे वितरित किए जाएंगे.