उदयपुर. कहते हैं कुछ कर गुजरने के इरादे अगर मजबूत हो तो कठिन से कठिन हालात को भी बदला जा सकता है. ऐसा ही कर दिखाया उदयपुर के दो युवा गाइड ने. इनकी ओर से प्राचीन बावड़ियों को संवारने के लिए छेड़ी (two friends trying to improve the condition of the poor stepwells) गई मुहिम अब रंग लाती नजर आ रही है.
उदयपुर के रहने वाले अक्षय सिंह राव और प्रदीप सेन टूरिस्ट गाइड का काम करते हैं. पिछले लंबे समय से उदयपुर के ऐतिहासिक गुलाबबाग उद्यान में दोनों दोस्त घूमने के लिए जाते थे.लेकिन गुलाब बाग में स्थित प्राचीन समय की बावडियों की बदहाल तस्वीर देखकर मन में निराशा और इन्हें सवारने का जुनून इन दोनों युवाओं में उमड़ा. गुलाबबाग में करीब आठ से 10 छोटी-बड़ी प्राचीन समय की बावड़ियां हैं. लेकिन इन बावड़ियों की मौजूदा हालत लगातार खराब हो रही थी. ऐसे मे इन्हें सवारने के लिए दोनों युवा मॉर्निंग वॉक में घूमने की बजाए इनकी साफ-सफाई और रखरखाव में जुट गए. देखते ही देखते कारवां आगे बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए.
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अब इन दोनों युवाओं के साथ करीब 15 से 20 लोग जुड़ चुके हैं. जिसमें 4 साल के नन्हे मासूम, सौरव और मनन भी नन्हे-नन्हे हाथों और हौसले के बल पर बावड़ियों को सवारने का काम कर रहे हैं. इन लोगों ने अब अपना एक समूह बनाया है.जिसका नाम 'क्लीन उदयपुर मोमेंट' रखा है. समूह में अन्य लोगों को भी जोड़ने के साथ इन बावडियों बचाने के लिए जागरूकता अभियान शुरू किया है.
गुलाबबाग में स्थित 8 से 10 छोटी बड़ी बावडियां
इस ग्रुप के लोगों की ओर से गुलाबबाग में स्थित चार बावड़ियों की साफ-सफाई के साथ उन्हें फिर से पुराने रंग में लाने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में करीब 300 से 400 वर्ष पुरानी इन ऐतिहासिक बावडियों का एक बार फिर से पुराना स्वरूप दिखने लगा है. इन बावड़ियों से अपशिष्ट पदार्थ और कचरे के कारण बदबू आती थी. इनमें बड़ी संख्या में प्लास्टिक की थैलियां, प्लास्टिक की बोरी,खाली डिस्पोजल, खाली बोतलें और पेड़ पौधों के पत्ते पड़े हुए थे. इन बावड़ियों को दूषित कर दिया था. लेकिन क्लीन उदयपुर मोमेंट के सदस्य मेहनत से इन बावडियों को पुराने स्वरूप मैं लाने के लिए जतन कर रहे हैं. उदयपुर शहर स्थित गुलाबबाग उद्यान वर्षों पुराना है. जिसमें बड़ी संख्या में देसी-विदेशी और स्थानीय लोग घूमने के लिए यहां पहुंचते हैं.