उदयपुर.कांग्रेस पार्टी की सियासी लड़ाई का खामियाजा उदयपुर की जनता को भी चुकाना पड़ रहा है. इसी के चलते पिछले 10 महीने से उदयपुर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष पद पर कांग्रेस पार्टी अपने प्रत्याशी का चुनाव नहीं कर पाई है.
उदयपुर नगर निगम के चुनाव हुए 10 महीने से अधिक का वक्त बीत चुका है. जहां सत्ताधारी भाजपा ने महापौर, उपमहापौर समेत नगर निगम की सभी कार्य समितियों का गठन कर दिया है. वहीं, पिछले 10 महीने बीत जाने के बाद भी विपक्ष अपने नेता का चुनाव नहीं कर पाया है. यही वजह है कि उदयपुर नगर निगम बिना नेता प्रतिपक्ष पिछले 10 महीने गुजार चुका है. ऐसे में कांग्रेस पार्टी की अंदरूनी लड़ाई अब एक बार फिर जगजाहिर हो गई है.
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वैसे तो उदयपुर में नगर निगम नेता प्रतिपक्ष के लिए हाल ही में तीन पार्षदों ने अपनी दावेदारी पेश की थी और पार्टी आलाकमान पर फैसला छोड़ा था, लेकिन इन सभी के बीच राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम का खामियाजा अब उदयपुर की जनता को चुकाना पड़ रहा है और बिना नेता ही उदयपुर में जनता की आवाज उठाने वाला प्रतिपक्ष काम कर रहा है.
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बता दें कि उदयपुर में कांग्रेस पार्टी कई खेमों में बटी हुई है. एक खेमा जहां गिरजा व्यास का है तो वहीं दूसरा खेमा सीडब्ल्यूसी सदस्य रघुवीर मीणा का, दोनों ही टीमों के नेता चाहते हैं कि उनका पसंदीदा पार्षद ही उदयपुर नगर निगम का नेता प्रतिपक्ष बने ऐसे में हितांशी शर्मा और लोकेश गौड़ में से किसी एक का नेता प्रतिपक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है.