उदयपुर.कहते हैं भगवान के दर पर देर है, अंधेर नहीं. ऐसा ही एक वाकया उदयपुर में देखने को मिला (Missing man from Gorakhpur met family after 10 years) है. उदयपुर से हजारों किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के (गोरखपुर) रहने वाले एक परिवार में एक दशक बाद खुशियां लौटी हैं. उदयपुर के अपना घर आश्रम के माध्यम से परिवार 10 साल पहले खोए अपने पिता से मिला है. अपने गांव से 2011 में लापता हुआ दुर्गविजय फिर घर लौट आया है. इसे परिवार भूल चुका था. वो उदयपुर के अपना घर आश्रम के माध्यम से अपने बेटे से मिले और अब उनकी दस साल बाद घर वापसी हो रही है.
मानसिक रूप से कमजोर है दुर्गविजय: दुर्गविजय के तीन बच्चे हैं और वह मानसिक रूप से विक्षिप्त है. साल 2011 में वो एकाएक अपने घर से गायब हो गया था. परिजनों ने उनके जिंदा होने की आस छोड़ दी थी. लेकिन अब लगभग दस साल बाद जब उदयपुर की अपना घर आश्रम नामक संस्था ने उनके परिजनों से संपर्क साधा, तो दुर्गविजय के परिजनों की उम्मीदें जाग उठी और उनसे मिले. जब उनका बेटा उदयपुर पहुंचा, तो पिता-पुत्र का मिलन देखकर वहां उपस्थित सभी लोगों की आंखें भर आईं.
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पांच माह से आश्रम में रह रहे थे दुर्गविजय: वैसे तो उदयपुर और गोरखपुर के बीच तकरीबन 1200 किलोमीटर की दूरी है. लेकिन जब किसी अपने से वर्षों बाद मुलाकात हो, फिर यह भौगोलिक दूरियां कम हो जाती है. और ऐसा ही कुछ दुर्गविजय के परिवार के साथ हुआ. अपने पिता से मिलने की खुशी में बेटा उदयपुर के आश्रम पहुंचा.
आश्रम के लोगों ने दिया नया नाम:बता दें कि 4 अक्टूबर, 2021 को अपना घर आश्रम ने दुर्गविजय को बीमार हालत में उदयपुर में भटकते हुए उनका रेस्क्यू किया था. जिसके बाद पांच महीने से वह आश्रम में ही रह रहा था. जब वह अपना असली नाम और पता नहीं बता पाया, तो आश्रम के लोगों ने प्यार से इनका नाम 'मोनू' रख दिया गया था. एक दिन दुर्गविजय ने आश्रम के लोगों से बातचीत में अपने परिवार और अपने घर का जिक्र किया. जिसके बाद उनके परिवार से संपर्क किया गया. 10 साल के लंबे समय के बाद जैसे ही दुर्गविजन अपने पैतृक गांव पहुंचे लोगों की आंखें छलक गईं. परिवार के लोगों की खुशियां वापस लौट आई.
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जब परिजनों ने छोड़ दी थी आस, उस वक्त इंटरनेट ने दिया साथ:अपनाघर आश्रम के प्रभारी सुल्तान सिंह ने बताया कि हम आज से 5 महीने पहले दुर्गविजय को लावारिस हालत में रेस्क्यू कर आश्रम लेकर आए थे. दुर्गविजय ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाला है. इसके बाद टीम के लोगों ने इनके गांव के प्रधान से संपर्क किया. प्रधान ने इनके परिवार के किसी व्यक्ति को पूरी वस्तुस्थिति बताई. परिवार ने टीम के मेंबर को वीडियो कॉल कर बातचीत कराई. परिवार के लोग 10 साल बाद इन्हें देखकर फूट-फूट कर रोने लगे. पत्नी ने भी एक दशक बाद अपने पति का फिर से एक बार चेहरा देखा, तो खुशी के आंसू फूट पड़े.
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अपना संस्थान के सुरेश विजयवर्गीय ने बताया कि जैसे ही 10 साल बाद दुर्गविजय के पुत्रों ने अपने पिता को देखा, तो उनको विश्वास नहीं हुआ. क्योंकि इनके एक पुत्र की उम्र 11 साल है. जबकि एक पुत्र की उम्र 4 साल है. दुर्गविजय के पुत्र ने बताया कि करीब 10 साल पहले उनके पिता अचानक घर से गायब हो गए थे. उन्हें जगह-जगह ढूंढा गया, लेकिन उनकी कोई सूचना नहीं मिली. दुर्गविजय के दो छोटे बेटे किशन और बलिराम पहली बार पिता को देखेंगे. बेटे विशाल ने बताया कि उनके दो छोटे भाई पिता के बारे में कुछ नहीं जानते. जब पिता लापता हुए, तब एक भाई छह माह और दूसरा भाई एक साल का ही था.