उदयपुर. पिछले कुछ वर्षों से मशरूम की खेती के प्रति किसानों के साथ-साथ युवाओं की रुचि भी बढ़ी है. ऐसे में अब इंजीनियरिंग और एमबीए किए हुए युवा भी बड़ी-बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़कर मशरूम की खेती (mushroom farming in udaipur) में हो रहे मुनाफे को देखते हुए इस ओर आकर्षित हो रहे हैं. राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले अर्चित ने भी कुछ ऐसा ही किया. मैकेनिकल इंजीनियर की व्हाइट कॉलर जॉब छोड़कर अपना स्टार्टअप (mechanical engineer archit start Up) खड़ा किया है. मुंबई की नौकरी छोड़कर उन्होंने मशरूम की खेती करने में जुट गए. आज मशरूम की खेती से अर्चित हर साल लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं. यही नहीं अपने स्टार्टअप से वह कई लोगों को रोजगार देने के साथ ग्रामीण किसानों और युवाओं को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं.
दरअसल राजस्थान की उदयपुर के रहने अर्चित दशोरा (30) जिन्होंने 2014 में मैकेनिकल इंजीनियर पास की. कुछ समय बाद उनकी नौकरी मुंबई की एक एमएनसी नौकरी लग गई. ऐसे में करीब ढाई से 3 साल काम करने के बाद अर्चित का इस काम से मन उठने लगा. वह जब भी अपने घर छुट्टियों में आते तो अपने पिता जो कि महाराणा प्रताप कृषि एवं विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे उनसे कृषि के बारे में बातचीत किया करते थे. ऐसे में धीरे-धीरे उनकी रुचि कृषि की ओर बढ़ने लगी और फिर उन्होंने नौकरी छोड़ खेती करने का मन बना लिया.
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इस बीच अर्चित ने अपनी नौकरी छोड़कर अपना स्टार्टअप करने के लिए मशरूम की खेती करने को अपना लक्ष्य बनाया. उन्होंने उदयपुर शहर के बड़गांव में मशरूम का प्लांट लगाया. हालांकि इस दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा, लेकिन देखते ही देखते उनका यह स्टार्टअप बढ़ता गया. वे 3 साल इसी काम में पूरी मेहनत से जुटे रहे. अब उन्हें हर साल करीब 6 से 7 लाख रुपए की आमदनी मशरूम की खेती से होती है. इसके साथ ही हर माह करीब डेढ़ से 2 टन मशरूम की पैदावार होती है. इस दौरान पैदा होने वाली मशरूम को बाजार में बेचने के लिए प्लांट पर ही मशीन लगाई गई है. यहां मशरूम के अलग-अलग आधा किलो, 1 किलो, और 2 किलो के डिब्बों में पैक कर बाजार में बेचा जाता है.