उदयपुर/जयपुर.प्रदेशभर में आज वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जयंती (Maharana Pratap Jayanti 2022) धूमधाम के साथ मनाई जा रही है. प्रताप की कर्म और जन्मस्थली मेवाड़ में भी जयंती के अवसर पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है.इस दौरान मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने भी मोती मगरी स्थित महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया. इससे पहले मोती मगरी पर विधिवत हवन किया गया और पूजा अर्चना की गई. इस मौके पर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने हवन में भाग लेते हुए पूर्णाहुति दी. इसके बाद मेवाड़ क्षत्रिय महासभा सहित सर्व समाज के कई संगठनों के सदस्यों ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा (Rajasthan remembers Brave heart Hindua Suraj) पर पुष्पांजलि अर्पित की.
जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा भी मोती मगरी स्थित राणा प्रताप (Maharana Pratap Jayanti 2022) की प्रतिमा स्थल पर पहुंचे और पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया. पुष्पांजलि के बाद सर्व समाज की ओर से विशाल वाहन रैली निकाली गई यह रैली शहर के चेतक सर्कल से शुरू होकर हाथीपोल होते हुए देहली गेट के बाद नगर निगम (Rajasthan remembers Brave heart Hindua Suraj) पहुंची.
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प्रताप की जयंती पर कार्यक्रम:भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया दोपहर बाद गोगुंदा में महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली पहुंचेंगे. महान वीर योद्धा महाराणा प्रताप की जयंती समारोह में शामिल होंगे.इस दौरान भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी भी मौजूद रहेंगे इसके बाद पुनिया शाम 4 बजे उदयपुर शहर भाजपा कार्यालय मैं प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.
प्रताप गौरव केंद्र में कार्यक्रम: सुबह प्रताप गौरव केंद्र में जहां प्रताप की 57 फीट ऊंची प्रतिमा का दुग्धाभिषेक किया गया है वहीं शाम को 6:00 बजे कार्यक्रम होगा. ये महाराणा प्रताप जयंती समारोह एवं स्वराज गौरव यात्रा का समापन समारोह होगा. जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल भी मौजूद रहेंगे.
सीएम ने भी महाराणा प्रताप को किया याद:महाराणा प्रताप की जयंती पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने ओजस्वी शासक की गौरव गाथा का बखान किया है और उनके त्याग भरे जीवन से प्रेरणा लेने की अपील की है. सीएम ने लिखा है- वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने स्वाभिमान और मातृभूमि की रक्षा के लिए सुखों का त्याग कर अरावली की पहाड़ियों और दुर्गम वनों में अपना जीवन व्यतीत किया . उन्होंने अत्यंत विकट परिस्थितियों में भी हार नहीं मानी और मातृभूमि की भक्ति का प्रतिमान बनाया.