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होली पर चलेगा हर्बल रंगों का जादू...आदिवासी महिलाएं फूलों और वनस्पतियों से तैयार कर रहीं केमिकल रहित गुलाल - Rajasthan news

रंग पर्व का मजा केमिकल रंगों की वजह से फीका न हो इसलिए आदिवासी बहुल इलाकों की महिलाएं हर्बल गुलाल (Tribal women are preparing herbal gulal) तैयार कर रही हैं. कोटड़ा की आदिवासी महिलाएं फूलों और प्रकृतिक वनस्पतियों से ये रंग बना रहीं हैं जो त्वचा के बिल्कुल भी हानिकारक नहीं हैं. बाजारों में भी ये बिकने के लिए आ रहे हैं.

Tribal women are preparing herbal gulal
आदिवासी महिलाएं बना रहीं हर्बल गुलाल

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Published : Mar 11, 2022, 5:22 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 6:22 PM IST

उदयपुर. रंगों का त्योहार होली को अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. हालांकि रंग पर्व को लेकर घरों में तैयारियां अभी से चलने लगी है. होली पर एक-दूसरे को रंगों से सरोबोर करने के लिए लोग तैयार हैं तो वहीं बाजार भी सजने लगे हैं. हालांकि बाजार में बिकने वाले कई प्रकार के केमिकल रंगों से लोग परहेज करने लगे हैं और यही कारण है कि हर्बल रंगों की डिमांड भी बढ़ गई है.

ऐसे में होली के उत्सव को उमंग में बदलने के लिए उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आदिवासी महिलाएं हर्बल रंग तैयार (Tribal women are preparing herbal gulal) कर रही हैं. ये आदिवासी महिलाएं बिना साइड इफेक्ट वाले हर्बल गुलाल और रंग बना रही हैं जो आपके चेहरे और त्वचा के लिए बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं होगा. मार्केट में यह रंग भी खूब बिकने लगे हैं.

आदिवासी महिलाएं बना रहीं हर्बल गुलाल

प्रशासन के मिशन कोटड़ा की सफलता का रंग होली के इस पावन त्यौहार पर भी देखने को मिल रहा है. संभागीय आयुक्त राजेन्द्र भट्ट एवं जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा के कोटड़ा विजिट का परिणाम है कि इस बार आदिवासी अंचल की महिलाओं के हुनर (Kotra tribal women talent) के साथ रंगों का त्योहार मनाया जाएगा.

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इस प्रयास से कोटड़ा की आदिवासी महिलाओं (Kotra tribal women talent) को रोजगार के अवसर मिलेंगे और महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी. कमिश्नर-कलेक्टर ने सभी जिला स्तरीय अधिकारियों से अपेक्षा की है कि वे इन जनजाति महिलाओं को प्रोत्साहित करने के लिए हर्बल गुलाल का ही उपयोग करें एवं अन्य कार्मिकों व साथियों को भी इसके लिए प्रेरित करें. जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा के लगातार कोटड़ा विजिट के दौरान की गई समीक्षा में वनोपज को बढ़ावा देने एवं वनोपज से यहां के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में आदिवासी महिलाओं की ओर से यह हर्बल गुलाल तैयार किए गए हैं जो होली पर विक्रय किए जाएंगे.

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जिला परिषद सीईओ मयंक मनीष ने बताया कि जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के मार्गदर्शन में राजीविका स्वयंसेवी सहायता समूह की महिलाओं की ओर से शुद्ध प्राकृतिक फूल एवं पत्तियों से हर्बल गुलाल तैयार किए गए हैं. आमजन की सुविधा के लिए यह हर्बल गुलाल 100 ग्राम, 200 ग्राम व 300 ग्राम के पाउच में भी उपलब्ध हैं. सीईओ ने बताया कि यह प्राकृतिक गुलाल पलाश एवं मोगरे के फूल से तैयार किए गए हैं जिसमें 100 ग्राम की कीमत 30 रुपये, 200 ग्राम 50 रुपये व 300 ग्राम 70 रुपये के हिसाब से रखी गई है.

जिले के कोटड़ा और झाड़ोल ब्लॉक के श्रीनाथ राजीविका वन-धन विकास केन्द्र मगवास, उजाला राजीविका वन-धन विकास केन्द्र जुड़ा व प्रगति राजीविका महिला सर्वांगीण विकास सहकारी समिति लिमिटेड गोगरुद की ओर से यह हर्बल गुलाल तैयार किए जा रहे हैं. हर्बल गुलाल के एक किलोग्राम का मूल्य 300 रुपये है.

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यहां मिलेगा हर्बल गुलाल
उदयपुर शहर में यह हर्बल गुलाल ट्राइब्स इंडिया शोरूम, राजीविका कार्यालय, सहेलियों की बाड़ी, प्रताप गौरव केन्द्र, करणी माता रोप वे, महाराणा प्रताप स्मारक मोती मगरी, फिश एक्वेरियम फतेहसागर, लोककला मण्डल, आरके मॉल और सेलिब्रेशन मॉल एवं कॉपरेटिव के सभी आउटलेट्स पर उपलब्ध है.

कैसे बनाया जाता है हर्बल गुलाल...
हर्बल गुलाल उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में वनस्पतियों एवं फूलों से बनाया जा रहा है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए फूल एवं पत्तियों का उपयोग किया जाता है. हरे रंग के लिए रिजका लाल रंग के लिए चुकंदर, गुलाबी के लिए गुलाब का फूल, पीले रंग के लिए पलाश के फूलों का मिश्रण तैयार कर गर्म पानी में उबाल जाता है. बाद में इसको ठंडा करके आरारोट, आटे को मिलाकर मिक्सर में पीसकर सुगंधित अर्क डालकर हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है. इससे पहले इस मिक्सर को सुखाकर महिलाएं अपने हाथों से मिक्स कर उन्हें तैयार करती हैं. इसके बाद उन्हें महिलाएं इस गुलाल को पैकेट में पैक कर रखती हैं.

Last Updated : Mar 11, 2022, 6:22 PM IST

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