उदयपुर.नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने पन्नाधाय प्रतिमा अनावरण के दौरान कहे गए विवादित शब्द को लेकर अब माफी मांगी है. समाज की ओर से लगातार विरोध के बाद कटारिया ने आखिरकार पत्र जारी कर पूरे मामले पर सफाई दी है.
कटारिया की ओर से जारी किए गए पत्र में लिखा है कि पन्नाधाय उदय सिंह एवं चंदन की मूर्ति के लोकार्पण कार्यक्रम (Kataria on the backfoot) के समय पन्नाधाय एवं चंदन के बलिदान को तो हर व्यक्ति जानता है. लेकिन उसके साथ मैंने अपने संबोधन में कीरत काका जो उदयसिंह को टोकरी में रखकर जूठे पत्तल में डालकर (Kataria apologized to the bari society) उन्हें सुरक्षित महल से बाहर ले जाने का कार्य किए थे. उसे भी मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास के रूप में जाना जाता है.
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कटारिया ने कहा कि मैंने जो शब्द कीरत काका को वर्णन करते समय प्रयोग किया वह मेवाड़ में गाए जाने वाली कवि निरंजन मासूम की कविता 'पन्ना का बलिदान' से लिया गया है. उस कविता का अभी तक कहीं भी विरोध नहीं होने के कारण उन्होंने कीरत काका के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया वह वास्तव में बारी समाज के संपूर्ण जनमानस को उद्वेलित करने वाला है.
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कटारिया ने कहा कि मैंने उसके बारे में विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम पुस्तक नाटक और उपलब्ध सामग्री को पढ़ने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि बारी समाज को आक्रोशित होना स्वभाविक है. मेरा समाज का अपमान करने का कोई उद्देश्य नहीं था. बल्कि कीरत काका के इस योगदान को जन जन तक पहुंचाने का उद्देश्य मात्र था. कटारिया ने कहा कि कीरत काका के साथ प्रयोग किए गए शब्द से समाज जनों को जो पीड़ा पहुंची उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं.
यह पूरा मामला..
गुलाबचंद कटारिया ने पन्नाधाय के त्याग और बलिदान के बारे में बात करते हुए अचानक कटारिया की जुबान फिसल गई और उन्होंने पत्तल जाति सूचक शब्द का प्रयोग दिया. उन्होंने कहा कि किस तरह से पन्नाधाय ने उदय सिंह को सुरक्षित रखने के लिए अपने बच्चे की आहुति दी. वह उदय सिंह को बचाने के लिए पन्नाधाय ने पत्तल की टोकरी में सुरक्षित ले जाने वाले कीरथ काका के बारे में बात कर रहे थे और इस दौरान उन्होंने जाति सूचक शब्द का प्रयोग किया था. इसके बाद से कटारिया का विरोध शुरू हो गया था.