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Hitendra Garasiya Case : रूस में मौत के 206 दिन बाद हितेंद्र को नसीब हुई वतन की मिट्टी, परिजनों ने आंसुओं के बीच दी अंतिम विदाई - हितेंद्र गरासिया का अंतिम संस्कार

206 दिनों की लंबी लड़ाई के बाद (Long Fight in Hitendra Garasiya Case) आखिरकार हितेंद्र गरासिया की देह मंगलवार को मातृभूमि में पंचतत्व में विलीन हो गई. रूस में मौत के बाद शव को भारत लाने के लिए परिजनों ने राजस्थान से लेकर दिल्ली तक लड़ाई लड़ी. शव जब गांव पहुंचा तो हर किसी की आंखें नम हो गईं. क्योंकि किसी ने भी नहीं सोचा था कि हितेंद्र को आखिरी बार इस तरह से देखेंगे.

Hitendra Garasiya Last Rites in Udaipur
लंबी लड़ाई के बाद हितेंद्र को नसीब हुई वतन की मिट्टी

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Published : Feb 8, 2022, 6:46 PM IST

Updated : Feb 8, 2022, 7:21 PM IST

उदयपुर. जिले के गोडवा निवासी हितेंद्र गरासिया की देह मंगलवार को परिजनों के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार अपनी मातृभूमि में पंचतत्व में विलीन हो गई. 206 दिन तक परिजन हितेंद्र के शव को रूस से भारत मंगवाने के लिए संघर्ष करते रहे. लंबी लड़ाई के बाद जब हितेंद्र का शव परिजनों के सामने पहुंचा तो हर कोई स्तब्ध था. आंखों से बहती आंसुओं की धार के बीच पत्नी जहां अपने पति को अंतिम विदाई दे रही थी तो बच्चे अपने पिता के चेहरे को देखकर फफक रहे थे. पूरे गांव में गमगीन माहौल के बीच हर किसी की आंख हितेंद्र के अंतिम विदाई के मौके पर नम हो चुकी थी.

हितेंद्र गरासिया का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो परिजनों के आंसू बह निकले. क्योंकि किसी ने सोचा भी नहीं था कि हितेंद्र जो परिवार के लिए पैसे कमाने रूस गया हुआ है, उससे जब मुलाकात होगी तो इस अवस्था में. रूस में हितेंद्र की मौत के बाद से 6 महीने तक हितेंद्र की पत्नी और बच्चे शव को भारत मंगवाने के लिए संघर्ष करते रहे. रूस में दफनाए गए हितेंद्र के शव को कब्र से बाहर निकलवाने और भारत लेकर आने के लिए राजस्थान से लेकर दिल्ली तक लड़ाई लड़ी.

हितेंद्र को अंतिम विदाई...

2 दिन पहले रूस से दिल्ली और सोमवार को जयपुर में पोस्टमार्टम के बाद (Death of Hitendra Garasia in Russia) शव मंगलवार को पैतृक गांव लाया गया. ताबूत में पैक शव को लेकर परिजन गांव पहुंचे. इस मौके पर बड़ी तादाद में ग्रामीण भी जमा हो गए. शासन-प्रशासन की ओर से भारी सुरक्षा बल भी तैनात रहा. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से भी हितेंद्र गरासिया की दिवंगत देह पर पुष्प चक्र चढ़ाया गया.

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हितेंद्र के शव के गांव में पहुंचने से पहले ही ऋषभदेव पुलिस उपाधीक्षक विक्रम सिंह, खेरवाड़ा तहसीलदार व आधा दर्जन थानों का जाप्ता तैनात रहा. शव लेकर जैसे ही एंबुलेंस गांव में पहुंचा हर ग्रामीण की आंखें नम हो गईं. बेटे-बेटी समेत पूरा परिवार रोता-बिलखता दिखा. यहां करीब 2 घंटे तक रीति-रिवाज के तहत अंतिम संस्कार की रस्मों को पूरा किया गया. इसके बाद हितेंद्र अंतिम यात्रा के लिए निकले. गांव के मुख्य रास्तों से होते हुए (Hitendra Garasiya Last Rites in Udaipur) शव को बारोडवाड़ा मुक्तिधाम ले जाया गया, जहां उनके पुत्र पीयूष ने मुखाग्नि दी.

जब गांव पहुंचा हितेंद्र का शव...

परिवार जनों ने जयपुर के SMS अस्पताल में की थी शव की पहचान : हितेंद्र गरासिया के शव की उनके परिजनों ने पहचान सोमवार को कर ली थी. जिसके बाद शव के डीएनए टेस्ट की जरूरत नहीं हुई. एफएसएल मेडिकल टीम ने सतर्कता के साथ ताबूत से बॉडी को बाहर निकालकर (Hitendra Garasiya Death Case) हितेंद्र के परिवार से पहचान प्रकिया पूरी करवाई थी.

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रोजगार के लिए गए थे रूस : उदयपुर से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित खेरवाड़ा तहसील के गोडवा गांव के हितेंद्र गरासिया बीते साल रोजगार के लिए एजेंट के माध्यम से रूस गए थे. हितेंद्र काम के लिए किसी एजेंट को लाखों रुपए देकर रूस गया था. भारतीय दूतावास की ओर से मॉस्को से जयपुर पासपोर्ट ऑफिस को भेजी सूचना के मुताबिक रूस पुलिस को 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र का शव मिला था. लंबे समय बाद भारतीय दूतावास से परिवार को इसकी सूचना मिली. ऐसे में परिवार के लोग लगातार भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहे थे, लेकिन भारतीय दूतावास की ओर से मौत का कोई कारण नहीं बताया गया.

गमगीन माहौल के बीच हर किसी की आंखें हुईं नम...

चर्मेश शर्मा मदद को आगे आए : परिवार के काफी जतन करने के बाद भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में बूंदी के चर्मेश शर्मा पीड़ित परिवार की मदद को आगे आए. उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय, मानवा अधिकार आयोग तक इस मामले को पहुंचाया. हितेंद्र के शव को भारत लाने के लिए दिसंबर में 1 सप्ताह तक नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय में ज्ञापन देकर भारत सरकार को पूरे मामले से अवगत कराया गया.

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यह रही पूरी घटना : हितेंद्र गरासिया एजेंट के जरिए गांव से रूस गया था. इसे लेकर परिजनों को हितेंद्र ने जानकारी नहीं दी थी. लंबे समय बाद परिजनों को रूस में होने की जानकारी से अवगत कराया. हालांकि, आखिरी बार उन्होंने अपनी बेटी से फोन पर बात की थी, लेकिन इसके बाद उनका संपर्क टूट गया. इस बीच रूस में 17 जुलाई 2021 को हितेंद्र की मौत हो गई, जिसके लंबे समय बाद 17 अगस्त 2021 रूसी दूतावास ने मौत होने की जानकारी दी. परिजनों को सूचना नजदीकी थाना क्षेत्र से मिली. जिसके बाद परिजनों ने हितेंद्र की चिंता को लेकर कई जगह पूछताछ की, लेकिन उन्हें कोई सूचना नहीं मिली.

पीड़ित परिवार के साथ प्रियंका गांधी...

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कब क्या हुआ...

  • इस पूरे मामले की शिकायत 17 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में की गई.
  • 31 अक्टूबर 2021 को विदेश मंत्रालय को शिकायत दी गई.
  • 7 नवंबर 2021 कोरूसी दूतावास ने शव भेजने से इनकार कर दिया.
  • 15 नवंबर 2021 को मानवाधिकार आयोग में फिर से गुहार लगाई गई.
  • 2 दिसंबर 2021 मृतक के परिजनों ने ने जंतर-मंतर दिल्ली में धरना दिया.
  • 3 दिसंबर 2021 को पीएम, राष्ट्रपति, विदेश मंत्री को पत्र लिखे गए. साथ ही रूसी पीएम के दौरे के दौरान भी आत्मदाह की चेतावनी दी गई.
  • 4 दिसंबर 2021 को रूसी दूतावास के अधिकारी हितेंद्र के परिवार से मिले.
  • 7 दिसंबर 2021 को सप्ताह भर के लिए धरना-प्रदर्शन स्थगित किया गया.
  • 8 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने मामले को संवेदनशील बताया.
  • 15 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने रूसी दूतावास को नोटिस देकर जबाव मांगा.
  • 1 जनवरी 2022 को परिजनों ने राष्ट्रपति से हितेंद्र के शव को भारत लाने को लेकर गुहार लगाई.
  • 28 जनवरी 2022 को प्रियंका गांधी से मिलकर परिजनों ने हितेंद्र के शव को भारत लाने की गुहार लगाई. इसके बाद प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने हितेंद्र गरासिया की दिवगंत देह को सम्मानजनक दाह संस्कार के लिए परिजनों तक पहुंचाने की मांग की थी. उन्होंने प्रधानमंत्री से पीड़ित परिवार की मदद का आग्रह किया था.
  • 6 फरवरी 2022 को रूस से शव को दिल्ली भेजा गया. इसके बाद परिजन शव को लेकर जयपुर आए. 7 फरवरी को जयपुर के SMS अस्पताल में पोस्टमार्टम हुआ.
Last Updated : Feb 8, 2022, 7:21 PM IST

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