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Special : कोरोना की दहशत से हथिनी भी पस्त...फिर क्रेन का लेना पड़ा सहारा

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Published : Aug 7, 2020, 6:05 PM IST

कोरोना वायरस का असर ना सिर्फ इंसानों पर, बल्कि जानवरों पर भी पड़ा है. जिसका ताजा उदाहरण उदयपुर में देखने को मिला. यहां हथिनी सोनकली पिछले लंबे समय से कोरोना वायरस के चलते अपने घर में कैद हो गई. इस दौरान वह इतनी परेशान हो गई कि अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो पा रही थी. ऐसे में उसे क्रेन के सहारे अपनी टांगों पर खड़ा किया गया. पढ़े पूरी खबर...

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वन्यजीवों पर भी पड़ा कोरोना प्रभाव

उदयपुर. कोरोना संक्रमण का असर आम आदमी पर ही नहीं, वन्यजीवों पर भी पड़ा है. इसी का एक उदाहरण है उदयपुर की हथिनी सोनकली, जो पिछले लंबे समय से लॉकडाउन और कोरोना वायरस के चलते अपने घर में ही कैद हो गई. वह इतनी परेशान हो गई कि अपने पैरों पर भी खड़ी नहीं हो पा रही थी. ऐसे में सोनकली को क्रेन के सहारे अपनी टांगों पर खड़ा किया गया.

वन्यजीवों पर भी पड़ा कोरोना का प्रभाव

बता दें कि सोनकली उदयपुर के मल्ला तलाई इलाके के एक छोटे से मैदान में रहती है. जहां पर कुछ पुजारियों की ओर से इसकी देखरेख की जाती है. लॉकडाउन के बाद स्थिति काफी बदल गई थी और सोनकली एक छोटे से मैदान में कैद होने के बाद काफी परेशान रहने लगी. ऐसे में पिछले कुछ दिनों से परेशान सोनकली को उठने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था और उसकी टांग में भी कुछ दिक्कत आ गई थी.

हथिनी का भी हुआ बुरा हाल

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बुधवार को हथिनी के चाहने वाले लोगों ने क्रेन की मदद से सोनकली को एक बार फिर अपनी टांगों पर खड़ा किया और उसे नहलाया गया, ताकि फिर से सोनकली तंदुरुस्त और स्वस्थ महसूस कर सके. सोनकली की देखरेख करने वाले सत्यनारायण और अर्जुन बताते हैं कि लॉकडाउन के चलते वह लंबे समय से एक ही जगह पर ठहरी हुई थी.

क्रेन के सहारे खड़ी हुई 'सोनकली'

इसका खामियाजा यह हुआ कि इसकी एक टांग में समस्या आ गई. जिसके चलते यह अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही थी और बार-बार खड़ी होने की कोशिश करने पर लड़खड़ा कर जमीन पर गिर रही थी. ऐसे में बुधवार को सोनकली के चाहने वाले लोगों ने मिल बमुश्किल क्रेन के सहारे उसे एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा किया और उम्मीद लगाई है कि आने वाले वक्त में सोनकली दुरुस्त होकर उदयपुर की सड़कों पर निकल पड़ेगी.

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उदयपुर में सिर्फ 3 हाथी और हथनी हैं. जिनमें से सोनकली भी एक है. सोनकली की उम्र 65 वर्ष है और पिछले लंबे समय से वह उदयपुर की सड़कों पर ही घूमती दिखाई देती है. सोनकली का भोजन भी उदयपुर के बाशिंदों की ओर से ही दिया जाता है. ऐसे में लॉकडाउन ने पूरी तरह से उसके जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था.

'सोनकली' को मिला नया जीवन

ऐसे में सोनकली की देखरेख करने वाले लोग भी अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि फिर से जनजीवन आम दिनों की तरह हो और सोनकली पहले की तरह दुरुस्त होकर सभी के बीच पहुंचे.

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