उदयपुर. राजस्थान की राजनीति में परिवारवाद इतना ज्यादा हावी हो गया है कि लंबे समय से जमीनी स्तर पर काम करने वाले जमीनी नेता अब सिर्फ दरिया बिछाने को मजबूर हैं. जी हां उदयपुर की राजनीति में कुछ परिवार इतने हावी हो गए हैं कि अब सिर्फ यह परिवार ही क्षेत्र में सक्रिय रूप से राजनीति करते हैं. आइए आपको भी बताते हैं कि किस तरह चुनिंदा परिवार उदयपुर में राज कर रहे हैं.
मीणा परिवार का उदयपुर में दबदबा
सबसे पहले बात करते हैं मीणा परिवार के राज की. जी हां कांग्रेस के सीडब्ल्यूसी सदस्य और पूर्व सांसद रघुवीर मीणा की जिनका परिवार लंबे समय से मेवाड़ में राज कर रहा है. जी हां रघुवीर मीणा के पिताजी देवेंद्र कुमार मीणा कांग्रेस पार्टी से विधायक रह चुके हैं. इसके बाद रघुवीर मीणा भी सलूंबर से विधायक रह चुके. इस दौरान कांग्रेस पार्टी ने मीणा को लोकसभा का टिकट दिया और एक बार फिर सलूंबर विधानसभा सीट पर इसी परिवार से रघुवीर मीणा की पत्नी बसंती देवी मीणा को मौका मिला. वह भी सीट से जीतकर विधान सभा पहुंची. ऐसे में लंबे समय से सलूंबर विधानसभा सीट से सिर्फ रघुवीर मीणा का परिवार ही चुनाव लड़ रहा है. इसी का खामियाजा मीणा को इन विधानसभा चुनाव में भी हार का मुंह देख उठाना पड़ा.
उदयपुर की राजनीति में कुछ परिवार हावी
खेमराज कटारा का परिवार
मेवाड़ में एक और परिवार लंबे समय से राज कर रहा है यह परिवार है कटारा परिवार. जी हां इस परिवार से सबसे पहले खेमराज कटारा विधायक रहे. वहीं खेमराज कटारा के निधन के बाद उनकी पत्नी सज्जन देवी कटारा सीट से विधायक रही. पार्टी ने उन्हें फिर से मौका दिया. लेकिन, इस बार वह चुनाव हार गई. इसके बाद फिर से कटारा परिवार में ही इस सीट से खेमराज कटारा के पुत्र विवेक कटारा को चुनाव लड़ाया गया. लेकिन, लगातार परिवारवाद हावी होने के चलते आम जनता ने विवेक को अस्वीकार कर दिया.
भाजपा सांसद प्रत्याशी अर्जुन लाल मीणा:कांग्रेसी नहीं भाजपा में भी पूर्व गृहमंत्री और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया पर भी जातिवाद और परिवारवाद को बढ़ावा देने के कई आरोप लगते हैं. कटारिया पर एक समुदाय विशेष को उदयपुर में बढ़ावा देने का आरोप अब आम सा हो गया है. तो वहीं उदयपुर से वर्तमान सांसद और भाजपा सांसद प्रत्याशी अर्जुन लाल मीणा पर भी परिवारवाद का आरोप लग चुका है. बता दें कि विधानसभा चुनाव में सलूंबर सीट से अर्जुनलाल अपनी पत्नी को टिकट दिलाना चाहते थे. लेकिन पार्टी आलाकमान ने वहां वर्तमान विधायक को फिर से मौका दिया. जिससे मीणा की पत्नी चुनाव नहीं लड़ सकी.
आपको बता दें कि मेवाड़ की राजनीति में कई और ऐसे परिवार है जो लंबे समय से राज कर रहे हैं. बात गिरजा व्यास की हो या फिर पूर्व मुख्यमंत्री रहे मोहन लाल सुखाड़िया के परिवार की या फिर उदयपुर देहात जिला अध्यक्ष लाल सिंह झाला की. इन सभी के परिवार से किसी का भाई तो किसी की पुत्रवधू राजनीति में सक्रिय है और पार्टी द्वारा इन्हीं परिवारों को लंबे समय से महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जा रही है. बता दें कि जहां गिरजा व्यास के भाई गोपाल शर्मा उदयपुर जिला कांग्रेस के अध्यक्ष है.
वहीं उदयपुर देहात जिला अध्यक्ष लाल सिंह झाला जहां लंबे समय से देहात कांग्रेस के अध्यक्ष तो वहीं उनके पुत्र अभिमन्यु सिंह झाला युवक कांग्रेस अध्यक्ष पद पर काबिज है. यह कह सकते हैं कि झाला परिवार लंबे समय से देहात कांग्रेस पर राज कर रहा है. ऐसा ही एक और नाम है पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के परिवार का जहां इस परिवार को विधायक का टिकट भी दिया गया तो वहीं शहर अध्यक्ष का पद भी दिया गया और अब उस परिवार को फिर से एक महकमा देने की चर्चा है इतना ही नहीं बल्कि पिछले विधानसभा चुनाव में निर्दलीय जीत हासिल करने वाले जनता सेना के प्रदेश अध्यक्ष रणधीर सिंह भिंडर पर भी परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लग चुका है. बता दें कि भिंडर के बेटे जनता सेना की बागडोर संभालते हैं तो वहीं उनकी पत्नी भी संगठन में लंबे समय से सक्रिय है. कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि ऐसे में जमीनी स्तर पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे नेताओं को अभी अपनी जमीन नहीं मिल पा रही.
वही जब हमने कुछ जमीनी कार्यकर्ताओं से इस पूरे मसले पर बात करनी चाही तो उन्होंने साफ कहा की राजनीति में बीते कुछ समय से परिवारवाद और अपने परिवार के लोगों को लॉन्च करने की एक कुप्रथा शुरू हो गई है. जिस से जमीनी स्तर पर लंबे समय से संघर्ष कर रहे कार्यकर्ता को मौका नहीं मिल पाता और वह जिंदगी भर सिर्फ पार्टी दफ्तर में दरिया बिछाता रह जाता है.