उदयपुर. झारखंड के देवघर में त्रिकुट पहाड़ पर बने रोप-वे पर हुए हादसे में लोगों को बचाने का ऑपरेशन भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन इस घटना की यादें रूह कांपने वाली हैं. इस दर्दनाक हादसे के बाद राजस्थान में संचालित होने वाले रोप-वे संचालकों ने क्या सबक लिया ? इसे जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उदयपुर के मंशापूर्ण करणी माता रोप-वे पहुंची, जहां रोप-वे संचालकों से आपातकालीन स्थिति से निपटने और सुरक्षा इंतजाम को लेकर विशेष बातचीत की.
राजस्थान में रोप-वे चार जगह संचालित किया जाता है, जिनमें प्रमुख है मंशापूर्ण करणी माता रोप-वे (Manshapurn Karnimata Ropeway Udaipur) जिसकी लंबाई 378 मीटर है. रोप-वे संचालक कैलाश खंडेलवाल ने बताया कि फिलहाल करणी माता रोप-वे पर शटडाउन लिया गया है. जब हमने पूछा कि झारखंड के देवघर में हुए दर्दनाक हादसे के बाद शटडाउन लिया गया क्या, तब संचालक ने बताया कि हर साल इसी महीने मेंटेनेंस के लिए शटडाउन लिया जाता है.
उन्होंने बताया कि झारखंड के देवघर और उदयपुर के करणी माता रोप-वे में बड़ा अंतर है. इन दोनों ही रोप-वे के संचालन की अपनी अलग-अलग टेक्नोलॉजी है. रोप-वे पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को स्पेशल ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि कोई अनहोनी होने पर वे लोगों की जल्द से जल्द मदद कर सकें. इसके साथ ही (Reality Check on Safety Measures in Udiapur) आपातकालीन स्थिति से पर्यटकों को अवगत कराने के लिए साउंड सिस्टम लगाया गया है. वहीं, इसके साथ इलेक्ट्रिसिटी फेल होने पर डीजे सेट लगाए हुए हैं, ताकि तुरंत ही इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई को दुरुस्त किया जा सके.
रोप-वे पर ट्रॉली और मशीनों को हर महीने मेंटेनेंस किया जाता है. वहीं, साल में एक बार कलेक्टर को अवगत कराकर पूरे रोप-वे को शटडाउन किया जाता है. इस शटडाउन के दौरान (Karni Mata Ropeway Shutdown for Maintenance) सभी चीजों को खोल करके उन्हें चेक किया जाता है. इस दौरान खराब होने पर उन्हें बदल दिया जाता है. करणी माता रोप-वे में 6 गेट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें केबिन कभी भी रोप-वे से अलग नहीं हटती है. इसमें छह केबिन होते हैं.
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बड़ी संख्या में आते हैं देशी-विदेशी पर्यटक : गौरतलब है कि देश-दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर नीली झीलों के शहर को निहारने के लिए बड़ी संख्या में टूरिस्ट उदयपुर पहुंचते हैं. ऐसे में उदयपुर आने वाले टूरिस्ट करणी माता रोप-वे का लुत्फ (Ropeway Safety in Rajasthan) लेने के लिए भी पहुंचते हैं. हर रोज 400 से 500 पर्यटक आते हैं. वहीं, टूरिस्ट सीजन में 1500 अधिक पर्यटक रोप-वे पर आते हैं.
आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए तैयार : रोप-वे संचालक ने आगे बताया कि यह बहुत छोटा रोप-वे है. यहां आपातकालीन स्थिति (Rajasthan Ropeway Operators are on Alert) होने पर लोगों का रेस्क्यू ट्रॉली के सारे किया जाता है. ऐसे में रोप-वे पर संचालित पूरी टीम आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए ट्रेंड रहती है.