उदयपुर.कोरोना काल (Corona Pandemic) में हर शख्स परेशान और बेबस नजर आया. लाखों जिंदगियां तबाह हो गईं, काम-धंधे चौपट हो गए और लोग जिंदगी के लिए जद्दोजहद करते नजर आए. स्थिति कुछ ऐसी थी कि हर तरफ चीख पुकार और मौत का मंजर दिख रहा था. इस विकट परिस्थि में डॉक्टरों (Doctors) ने मोर्चा संभाल रखा था और रात-दिन कोरोना से जंग लड़ रहे थे और वो सिलसिला अब भी जारी है. ऐसे योद्धाओं को सलाम, जो अपनी जिंदगी खतरे में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए लगातार काम कर रहे हैं.
इस विषय की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (National Doctor's Day) है. इसका महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि चिकित्सकों को भी अपने परिवारजनों से दूर रहना पड़ा. कोरोना की पहली और दूसरी लहर (Corona Wave) में संक्रमण एक दूसरे में फैल रहा था. ऐसे में चिकित्सक अस्पतालों में उपचार करने के बाद जब अपने घर लौटते थे तो उनके मन में भी कई तरह के विचार आते थे. परिवार को संक्रमित होने का खतरा लगातार सता रहा था.
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इसमें सबसे बड़ा खतरा परिवारजनों के संक्रमित होने का था. ऐसे में भारी संख्या में चिकित्सक कोरोना संक्रमण की चपेट में भी आए. परिवारजनों को भी कोरोना ने अपनी जद में लिया. ऐसे में डॉक्टरों को परिवार के छोटे-छोटे बच्चों से भी दूर रहना पड़ा. ऐसे में ईटीवी भारत (ETV Bharat) की टीम राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर उन योद्धाओं की कहानी जानने के लिए निकली, जिन्होंने इस अदृश्य महामारी का सामना किया....
इस दौरान ईटीवी भारत टीम की मुलाकात उदयपुर के कई चिकित्सकों से हुई, जिन्होंने इस कोरोना काल के समय में अपने परिजनों की परवाह किए बिना लोगों की सेवा की. हमारी मुलाकात सबसे पहले डॉ. महेश दवे से हुई. उन्होंने बताया कि कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान उनकी बेटी का जन्मदिन भी आया, लेकिन उसमें मैं शामिल नहीं हो पाया. परिवार में कई अलग-अलग कार्यक्रम भी हुए, लेकिन संक्रमण का डर और परिवारजनों की सेहत के लिए दूरी बनाई रखी. कोरोना के इस समय में जिस तरह से लोग लगातार काल के गाल में समा रहे थे. ऐसे समय में कई बार मानसिक तौर पर भी समय चुनौतीपूर्ण रहा. हमें परिवारजनों से भी दूर रहना पड़ा. डॉक्टर दवे की पत्नी भी डॉक्टर हैं, ऐसे में उनके लिए हालात काफी चैलेंजिंग थे.
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मरीजों का इलाज करते हुए डॉक्टर भी हुए संक्रमित...