उदयपुर.पांच राज्यों के हाईकोर्ट न्यायाधीश और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की मौजूदगी में भारत सरकार के वकीलों की दो दिवसीय विधि कार्यशाला का रविवार को समापन हो गया. कार्यशाला के दूसरे दिन विधि क्षेत्र के विभिन्न आयामों का विकास एवं प्रभाव विषय पर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़, बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश एम एस कार्निक, गुजरात हाईकोर्ट के एएसजी देवांग व्यास शामिल हुए. कांफ्रेंस में देश भर से राज्यों से आए 300 से ज्यादा अधिवक्ताओं ने भाग लिया. इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कानून से जुडे़ मसलों पर लंबा मंथन हुआ.
कार्यशाला के दूसरे दिन 'रोल ऑफ टेक्नोलॉजी' विषय पर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश (Last day of Law Workshop in Udaipur) जस्टिस अशोक कुमार गौड़ ने कहा कि वर्तमान में देश में पेंडिग केसेज की संख्या बढ़ रही है. इसको टेक्नोलॉजी के उपयोग से कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि समय के साथ बदलाव बेहद जरूरी है. उन्होंने बताया कि जब वे वकालत में शुरू के दिनों में आए थे, तब टाइपराइटर से टाइप किया जाता था. लेकिन इन दिनों कंप्यूटर ने टाइपराइटर की जगह ले ली है.
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सिविल रूल्स में बदलाव की जरूरत : अब कम्प्यूटर में किसी भी लिखे हुए को कई बार सेव करके चेंज और प्रिंट भी लिया जा (Emerging Legal Issues 2022) सकता है. लेकिन पूर्व में यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी. इसलिए टेक्नोलॉजी व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है. उन्होंने कहा कि केरल में बैठे व्यक्ति को यहां अपना स्टेटमेंट रिकॉर्ड करवाना है तो इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के जरिए ये करवा सकता है. इसके लिए सिविल रुल्स में भी बदलाव होने चाहिए.
कॉन्फ्रेंस के कन्वीनर और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया रस्तोगी ने (Lawyers workshop in Udaipur) बताया कि पांच राज्यों के पैनल अधिवक्ताओं ने कई कानूनी मुद्दों पर चर्चा की. इस कॉन्फ्रेंस में मिले सुझावों और निर्णयों का प्रस्ताव शीघ्र ही केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा. कार्यशाला में स्पीकर्स ने यह भी सुझाव दिया कि जिस प्रकार सिविल सर्विसेज, CA के लिए एकेडमी बनी हुई है उसी तर्ज पर अधिवक्ताओं के उन्नयन के लिए अकेडमी बनाए जाने का सुझाव दिया गया.