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साइप्रस में फंसे एमबी मरीन शिप के क्रू-मेंबर लौटे स्वदेश...अपने घर उदयपुर पहुंचकर संजीव ने ली चैन की सांस

एमबी मरीन जहाज की बिक्री को लेकर दो कंपनियों में करार हुआ. कम्पनियों के इस करार में कर्मचारी उलझ गए. लिहाजा भारतीय क्रू मेंबर साइप्रस बंदरगाह पर फंस गया. शिप के क्रू मेंबर्स को तीन महीनों से वेतन नहीं मिला था. हालात इतने खराब थे कि पिछले 5 दिन से वे खाने-पानी के लिये भी तरस रहे थे.

सायप्रस एमबी मरीन शिप मामला
सायप्रस एमबी मरीन शिप मामला

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Published : Sep 10, 2021, 7:51 PM IST

उदयपुर. सोशल मीडिया पर पिछले दिनों उदयपुर की एक महिला का वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वह अपने पति को बचाने की गुहार लगा रही थी. उसने साइप्रस बंदरगाह में मौजूद एमवी मरीन जहाज पर फंसे अपने पति संजीव सिंह को बचाने के लिए भारत सरकार से गुहार लगाई थी.

दरअसल दो कंपनियों के करार के बीच बंदरगाह में फंसे 10 भारतीय समेत 13 क्रू मेंबर अब अपने घर पहुंच गए हैं. इसमें उदयपुर के रहने वाले संजीव सिंह भी शामिल हैं. जिनकी पत्नी ने इस पूरे मामले को लेकर विदेश मंत्रालय और जिला प्रशासन को अवगत कराया था.

संजीव ने बताया कि वे पिछले 15 वर्षों से मर्चेंट नेवी में हैं. कंपनी की धोखाधड़ी का शिकार हुए क्रू के सदस्य करीब 1 महीने तक परेशान रहे. उन्हें भोजन-पानी तक के लिए तरसना पड़ा. इस पूरे मामले को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय के सहयोग के बाद सभी क्रू-मेंबर अब अपने घर पहुंचे हैं.

पढ़ें- साइप्रस में फंसे पति को बचाने के लिए पत्नी ने लगाई गुहार, Social Media पर वीडियो Viral

ये था पूरा मामला

एक जहाज की बिक्री को लेकर दो कंपनियों में करार हुआ था. इस करार में कर्मचारी उलझ गए. कर्मचारी साइप्रस बंदरगाह पर फंस गए. शिप के क्रू मेंबर्स को तीन महीनों से वेतन नहीं मिला है. हालात इतने खराब थे कि पिछले पांच दिनों से क्रू के लोग खाना-पानी को लेकर भी तरस रहे थे.

करीब एक महीने से फंसे इन लोगों को साइप्रस पोर्ट अथॉरिटी से भी मदद नहीं मिली. ऐसे में भारतीय विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप से इन्हें मदद मिल सकती थी, शिप के सदस्यों ने भारत सरकार से सम्पर्क किया, मगर उन्हें कोई मदद नहीं मिली. कंपनी की ओर से क्रू सदस्यों पर लीबिया जाने की दबाव बनने लगा.

भारतीय एडवाइजरी के अनुसार क्रू-मेंबर्स को लीबिया नहीं जाने की सलाह थी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमबी मरीन शिप अब लीबिया की नई कंपनी है. हालांकि इस पूरे संघर्ष के बाद सभी क्रू-मेंबर भारत लौट आए हैं.

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