उदयपुर.प्रदेशभर में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. लेक सिटी उदयपुर भी इससे अछूता नहीं है. यहां भी संक्रमित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है. यहां प्रतिदिन 30 से 40 संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं. ऐसे में लगातार बढ़ रहे संक्रमण को रोकने के लिए उदयपुर में अब कोविड-19 जांच के दायरे को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
निजी अस्पतालों पर भरोसा जता रहे लोग उदयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दिनेश खराड़ी का कहना है कि लगातार बढ़ रहे संक्रमण को देखते हुए शहर के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा कर कोविड जांच के लिए शिविर लगाई जा रही है. ताकि शहरी के साथ ग्रामीण इलाकों में फैलता संक्रमण समय रहते रोका जा सके.
सरकारी अस्पतालों की ओर से लगाए जा रहे शिविर दिनेश खराड़ी का कहना है कि उदयपुर में पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस जांच के दायरे को बढ़ा दिया गया है. शहर के प्रमुख स्थानों पर जांच शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां पर कोई भी व्यक्ति अपनी कोरोना वायरस जांच करवा सकता है. वहीं, कोरोनावायरस जांच में हो रही खामियों को लेकर भी उदयपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दिनेश ने अपनी बात रखी.
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इस संबंध में खराड़ी ने बताया कि पूर्व में इस तरह के कई मामले सामने आए थे, जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा संक्रमित मरीज के परिजनों को अब मोबाइल मैसेज के माध्यम से सीधे सूचना दी जा रही है. ऐसे में अब पूर्व में हुई खामियों को सुधारा गया है. सरकारी अस्पतालों के साथ ही अब निजी अस्पतालों में भी जांच करवाई जा रही है, जिनकी दर भी निर्धारित है. ऐसे में उदयपुर में प्रतिदिन हजार से अधिक टेस्ट की जा रही है.
वहीं, उदयपुर के रविंद्र नाथ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर लाखन पोसवाल का कहना है कि कोरोना वायरस जहाज की रफ्तार धीमी नहीं हुई, बल्कि केंद्र द्वारा जारी किए गए मापदंडों के आधार पर की जा रही है, पोसवाल का कहना है कि उदयपुर में सुपर स्प्रेडर और अन्य मरीजों की जांच को लेकर पूर्व में अलग नियम थे. लेकिन सरकारी आदेश के बाद अब इसमें नई नीति के तहत काम किया जा रहा है.
इसके तहत इन्हें बिना ऑक्सीजन रखने के साथ ही क्वॉरेंटाइन पीरियड पूरा होने के बाद बिना कोविड जांच के ही छोड़ा जा रहा है. प्रिंसिपल पोसवाल ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना जांच के आंकड़ों में कमी आने का प्रमुख कारण निजी लैब में कोरोना जांच शुरू होना है.