उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर से जयपुर लाकर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किया (Organs transplant done from Udaipur to Jaipur) जा रहा है. उदयपुर की 44 वर्षीय ब्रेनडेड महिला देगी जयपुर में 3 मरीजों को नई जिंदगी. ऐसे में दिवाली से पहले 3 परिवारों में खुशी का माहौल. SMS मेडिकल कॉलेज से ऑर्गन लाने के लिए टीम उदयपुर पहुंची. सभी औपचारिकता पूरी करने के बाद टीम के सदस्य उदयपुर से ग्रीन कॉरिडोर के जरिए ऑर्गन्स लेकर जयपुर रवाना हुए हैं. यहां लिवर, दो किडनी ट्रांसप्लांट किये जाएंगे.
SMS अस्पताल मे राज्य में पहली बार एक शहर से ऑर्गन्स लाकर दूसरे शहर में ट्रांसप्लांट करने का काम किया जा रहा है जिससे तीन लोगों को नई जिंदगी मिल सकेगी. जानकारी के अनुसार मृत महिला स्नेह लता दलाल का ब्रेनडेड के कारण निधन हो गया था. स्नेह लता उदयपुर के गिरवा तहसील के नाई इलाके की रहने वाली हैं. मृत महिला के बेटे के कहने पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं.
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दक्षिण राजस्थान में पहली बार ऑर्गन ट्रांसपोर्टेशन के लिए ग्रीन कोरिडोर बनाया गया.यह अंगदान नाई की रहने वाली 44 वर्षीय स्नेहलता के ब्रेन डेड घोषित हो जाने पर उनके परिवार की ओर से निर्णय लेने पर किया गया. अंगदान स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन(सोटो) की ओर से निर्धारित क्रम व नियमानुसार किया गया. मरीज को 12 अक्टूबर 2022 को गीतांजलि हॉस्पिटल के न्यूरोलॉजी विभाग में भर्ती किया गया था जहां डॉक्टर्स की टीम ने 15 अक्टूबर 2022 को उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.
डॉक्टर्स की टीम ने परिवार वालों को अंगदान करने की सलाह दी थी. इस पर परिवार वालों ने मिलकर अंगदान करने का निर्णय लिया. गीतांजलि हॉस्पिटल की टीम के साथ समन्वय बनाया गया. गीतांजलि हॉस्पिटल में ऑर्गन ट्रांसप्लांटेशन की टीम के सदस्यों में डॉ. पंकज त्रिवेदी, डॉ. कमल किशोर बिश्नोई, डॉ. संजय गांधी, डॉ. अंकुर गांधी, डॉ. कल्पेश मिस्त्री, डॉ. निलेश भटनागर, डॉ. विनोद मेहता, डॉ. गोविन्द मंगल, डॉ. संजय पालीवाल की देखरेख में स्नेहलता के अंगों का दान किया गया.
अंगदान के बाद अंगों को ग्रीन कॉरिडोर के जरिए लिवर व दो किडनियों को उदयपुर से जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल, एमजीएम हॉस्पिटल के लिए रवाना किया गया. इस प्रक्रिया के लिए जिला पुलिस उदयपुर, चित्तोड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, जयपुर का विशेष योगदान रहा. अंगों को 430 किलोमीटर की दूरी को लगभग 270 मिनट में पूरा किया जायेगा. तत्पश्चात रोगी के पार्थिव शरीर को सम्मानपूर्वक उनके परिवारजनों के साथ निवास स्थान की ओर प्रस्थान किया गया.
ललित कुमार दलाल अंगदाता के पति ने कहा कि वह चाहते हैं कि सब लोग अंगदान के महत्व और इसकी उपयोगिता को समझें. उनके अनुसार आज उनकी पत्नी के अंगदान से कितने लोगों को नई जिंदगी मिलने जा रही है. क्या पता कब किसी को क्या ज़रूरत हो और वैसे भी भी शरीर को जलाते हैं. सब अंग जल जाते हैं. ऐसे में वो किसी के काम आए इससे अच्छा क्या हो सकता है. अंगदाता के पुत्र मनन दलाल नीट की तैयारी कर रहे हैं व डॉक्टर बनना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी बहन सुरभि दलाल और वह खुद ने निश्चय किया कि वह अंगदान में पूरा सहयोग देंगे क्यूंकि वो आज के युवा हैं. आज हर युवा को अंगदान के महत्व को समझना आवश्यक है.