उदयपुर.पर्यावरण संरक्षण के साथ ही उसका संवर्धन भी हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है, लेकिन आज की तारीख में कितने लोग इस दायित्व को पूरी तरह निभाते हैं यह गौर करने लायक बात है. फिर भी पर्यावरण को लेकर अब लोग जागरूक हो रहे हैं और इस दिशा में काम भी कर रहे हैं. उदयपुर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वाहन चालक अंबालाल मेनारिया ने कुछ ऐसा ही किया. उदयपुर जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की पथरीली पहाड़ी जो कभी वीरान दिखती थी आज वहां हरियाली रहती है. उन्होंने अपनी इच्छा शक्ति और मजबूत इरादों के बल पर अनोखी मुहिम छेड़ी जो अब रंग लाती नजर आ रही है. आज गुप्तेश्वर महादेव की उस पहाड़ी पर करीब एक हजार से अधिक पेड़ लहलहा रहे हैं.
अंबालाल ने ग्रामीणों के साथ मिलकर बदली पहाड़ी की तस्वीर...
उदयपुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है जो होड़ा पर्वत की वादियों में ग्राम पंचायत तितरड़ी के बिलिया गांव में स्थित है. यहां की पहाड़ियों और मंदिर के आसपास की सख्त भूमि पर भी अंबालाल ने पर्यावरण संवर्धन को लेकर मुहिम शुरू की. इस मुहिम में धीरे-धीरे गांव और पंचायत के लोगों का भी सहयोग मिलने लगा. अंबालाल ने अपनी सरकारी नौकरी करने के दौरान कुछ समय निकालकर पेड़ लगाने और इनकी देखरेख करने का काम शुरू किया. अब तक अंबालाल इस पहाड़ी क्षेत्र में सैकड़ों पेड़ लगा चुके हैं.जो अब धीरे-धीरे वृक्ष का रूप पेड़ लेने लगे हैं. अब उनके साथ इस काम में गांव और पंचायत के अधिकारियों का सहयोग मिलने से पेड़ों की संख्या और अधिक बढ़ने लगी है.
पहाड़ी पर पौधरोपण करना रहा कठिन...
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर होड़ा पर्वत पर स्थित है. यहां पर पौधे लगाना इतना आसान नहीं था. पथरीली जमीन और पहाड़ी क्षेत्र पर मिट्टी नहीं होने से काफी मुश्किल कार्य था. अंबालाल ने गधों से पहाड़ी पर मिट्टी की ढुलाई कराई और पेड़-पौधे लगाने शुरू किए. इसके साथ ही पेड़ों के लिए खाद और राख मिक्स कर पौधों में डाली गईं. अब तक यहां करीब 350 पेड़ अंबालाल लगा चुके हैं. उनके साथ में गांव वालों ने भी सहयोग करते हुए पहाड़ी के नीचे जमीन पर एक हजार पौधे और लगाए जो अब धीरे-धीरे पेड़ का रूप ले रहे हैं.
अंबालाल ने अपने बेटे के लिए सीख...
अंबालाल उदयपुर जिला परिषद में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के वाहन चालक हैं. उनका एक बेटा ऑस्ट्रेलिया में शेफ है. 2019 में अंबालाल अपने बेटे के यहां ऑस्ट्रेलिया गए थे. इस दौरान वहां आसपास हरियाली और हराभरा वातावरण देखकर अंबालाल ने भी अपने जिले में कुछ ऐसा ही करने की ठानी. उनके बेटे गजेंद्र ने उदयपुर में पौधरोपण को लेकर पिता से बात कही. अंबालाल ने भी उसी दिन गुप्तेश्वर महादेव मंदिर की वीरान पहाड़ियों पर पेड़-पौधे लगाकर उसे प्राकृतिक सौंदर्य के साथ ही हराभरा करने का प्रयास शुरू कर दिया. अंबालाल ने भारत आकर उदयपुर की गुप्तेश्वर की पहाड़ियों और आसपास के इलाकों में नीम, सीताफल, कंजरी, बेलपत्र, पीपल और छायादार सैकड़ों पेड़ लगाए. इस कारण अब गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के आसपास का क्षेत्र भी पूरी तरह से हरा भरा नजर आने लगा है.