उदयपुर.34 साल के लंबे अंतराल के बाद देश की शिक्षा नीति में परिवर्तन किया गया है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर अब 'शिक्षा मंत्रालय' कर दिया गया है. वहीं, नई शिक्षा नीति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. इतना ही नहीं, कक्षा 5 तक अंग्रेजी के बिना अध्ययन की भी नई शिक्षा नीति में बात कही गई है. साथ ही शिक्षा के बजट को 4 फीसदी से बढ़ाकर 6 फीसदी करने का प्रावधान भी रखा गया है.
इस तरह के कई बदलावों के साथ देश में नई शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया है. इस नीति में बहुभाषावाद और भाषा की शक्ति पर खास जोर दिया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस परिवर्तन के बाद बच्चों के लिए पढ़ाई की राह थोड़ी आसान होगी. हालांकि, नई शिक्षा नीति को लेकर बहुत से लोग नाखुश भी नजर आ रहे हैं.
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उनका कहना है कि एक लंबे समय बाद शिक्षा नीति में परिवर्तन तो किया गया है, लेकिन अब भी शिक्षा की मूल भावना को नहीं समझा गया. हमारे देश में शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने के लिए इसमें जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है, वह अब भी कम है. हमें हर वर्ग तक शिक्षा पहुंचानी है. सभी तक सरल एवं समान शिक्षा पहुंचाने के लिए हमें इसके बजट में भी इजाफा लाना होगा.