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आदिवासी संस्कृति का कलाकुंभ आदि महोत्सव सम्पन्न, 7 राज्यों के कलाकारों ने दी अद्भुत प्रस्तुति - उदयपुर में आदि महोत्‍सव

विश्‍व पर्यटन दिवस पर उदयपुर में शुरू हुए आदि महोत्‍सव का गुरुवार को समापन हो (Aadi mahotsav concludes in Udaipur) गया. इस दौरान 7 राज्‍यों के कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन कर लोगों का दिल जीत लिया. समापन समारोह में जिला कलेक्‍टर ने ऐसी लोक कलाओं और संस्‍कृति के संरक्षण की आवश्‍यकता बताई.

Aadi mahotsav concludes in Udaipur
आदिवासी संस्कृति का कलाकुंभ आदि महोत्सव सम्पन्न, 7 राज्यों के कलाकारों ने दी अद्भुत प्रस्तुति

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Published : Sep 29, 2022, 11:16 PM IST

उदयपुर. झीलों की नगरी उदयपुर में जिला प्रशासन व जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग, माणिक्य लाल वर्मा आदिम जाति शोध संस्थान एवं पर्यटन विभाग के तत्वावधान में आयोजित आदि महोत्सव का समापन भारतीय लोक कला मण्डल के मुक्ताकाशी रंगमंच पर हुआ. जिला कलक्टर ताराचंद मीणा ने नगाड़ा बजाकर समापन समारोह की शुरुआत (Aadi mahotsav concludes in Udaipur) की.

कलेक्टर ने स्थानीय कलाकारों सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए कलाकारों की प्रस्तुतियों को सराहा और कहा कि लोक परंपरा कला व संस्कृति के संरक्षण के लिए ऐसे आयोजनों की महती आवश्यकता है. ऐसे आयोजनों से विश्व पटल पर पर्यटन के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान रखने वाले उदयपुर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. लोक कलाओं का सुदृढ़ीकरण होगा और लोक कलाकारों को आजीविका के साथ संबल व पहचान मिलेगी. उन्होंने लोक कला मंडल के निदेशक डॉ लाइक हुसैन के प्रयासों की सराहना की.

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थिरकते कलाकारों ने किया मंत्रमुग्ध: समापन समारोह में विविध वाद्य यंत्रों की लहरियों के संग थिरकते कलाकारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस महोत्सव में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के कलाकारों ने भाग लिया. इनके अलावा राजस्थान के जनजाति क्षेत्रों बांरा, उदयपुर, बांसवाड़ा, आबुरोड, डूंगरपुर, सिरोही एवं कोटड़ा के 18 दलों ने भाग लिया. जिनमें से 11 दल तो ऐसे थे, जो पहली बार किसी कार्यक्रम में मंच पर अपनी प्रस्तुति दे रहे थे.


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उदयपुर संभाग के जनजाति कलाकारों के साथ देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों ने ढोल-मृदंग की थाप के साथ झांझर की झनकार और घूंघरू की झनकार के साथ प्रस्तुतियां दीं. कलाकारों ने चांग, शौगी मुखावटे, नटुवा, सिंगारी, राठवा, घूमरा, सहरिया, गवरी, ढोल कुंडी सहित लोक नृत्यों से सभी को आकर्षित किया.

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