उदयपुर.वन विभाग को तेंदू पत्तों से एक बार फिर बड़े राजस्व की प्राप्ति हुई है. बीड़ी बनाने के काम में आने वाले इस पत्ते (Tendu leaves are used to make bidis) ने विभाग के खजाने को भर दिया है. दक्षिणी राजस्थान में घने जंगलों में पाए जाने वाले तेंदूपत्ता की बिक्री ने इस बार वन विभाग को पिछले काफी सालों के मुकाबले अधिक आय दी है. इसके पीछे मुख्य वजह डिमांड को बढ़ने के साथ दूसरे राज्यों के ज्यादा व्यापारियों की बोली में भाग लेना भी माना जा रहा है.
उदयपुर संभाग की 74 इकाइयों की नीलामी में 31 करोड़ 67 लाख रुपए विभाग (Tendu leaves auction in Udaipur) को मिले हैं. उदयपुर में आदिवासी अंचल के जंगलों में पाए जाने वाले तत्व पत्तों की गुणवत्ता देशभर में काफी मायने रखती है. इसके पीछे यहां के मौसम और भौगोलिक कारण भी माने गए हैं. यही वजह कि तेंदूपत्ता से वन विभाग को इस बार पिछले साल से अधिक राजस्व मिला है. इस बार नीलामी भी एक चरण में ही हो गई जबकि 2019 और 2020 में डिमांड कम होने की दो चरणों में नीलामी करानी पड़ी थी.
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वन विभाग के अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार संभाग में तेंदूपत्ता की 74 इकाइयों की नीलामी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. इसमें 31 करोड़ 67 लाख रुपए का विभाग को राजस्व मिला है. इस बार की नीलामी में प्रदेश सहित मध्य प्रदेश गुजरात के व्यापारियों ने भाग लिया. इस साल 74 यूनिट के लिए 331 आवेदन दें. इसमें वन मंडल उदयपुर के 9 उदयपुर उत्तर के 11 डूंगरपुर नो प्रतापगढ़ 20 चित्तौड़गढ़ 14 बांसवाड़ा की 11 तेंदूपत्ता इकाइयां है.
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संभागीय वन संरक्षक आरके जैन ने बताया कि पहली बार तेंदूपत्ता की नीलामी एक बार में हो गई. इससे पहले साल 2020 19 में दो तीन चरणों में कईयों की नीलामी करनी पड़ी है. इस बार नीलामी में व्यापारी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया विभाग को अच्छी संख्या में राजस्व मिला है, इसके साथ ही इस साल रेट भी अच्छी मिली. जहां एक कोरोना संक्रमण के कारण सभी सेक्टर को भारी नुकसान हुआ है. लेकिन उदयपुर संभाग के जंगलों में होने वाले तेंदू पत्तों से सुखद खबर सामने आई है. यहां तेदू पत्तों का बाजार सिर चढ़कर बोला है. जिसके कारण वन विभाग के राजस्व की बल्ले-बल्ले होती नजर आई. तेंदूपत्ता एकत्रित करने के बाद यह व्यापारी बीड़ी बनाने वाली फैक्ट्रियों को पत्ता बेचते हैं.