राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

सरकार को कंपनियां चला रही हैं, अगर कानून वापस नहीं लिए तो कंपनियों के गोदाम तोड़ने का टारगेट बनाएंगे: राकेश टिकैत - rakesh tikait news

श्रीगंगानगर में किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को कंपनियां चला रही हैं. इसीलिए वह किसानों से बात नहीं कर रही है. अगर सरकार ने तीनों कानून वापस नहीं लिए और एमएसपी पर कानून नहीं बनाया तो किसान आने वाले दिनों में कंपनियों के गोदामों को तोड़ने का टारगेट बनाएंगे.

kisan mahapanchayat,  rakesh tikait
श्रीगंगानगर में किसान महापंचायत

By

Published : Mar 17, 2021, 8:29 PM IST

श्रीगंगानगर. किसान नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को श्रीगंगानगर में किसान महापंचायत को संबोधित किया. इस दौरान टिकैत ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि हमें रोटी को तिजोरी में बंद होने से बचाना होगा. आने वाले दिनों में आंदोलन और तेज होगा. टिकैत ने कहा कि सरकार को कंपनियां चला रही हैं इसलिए वह किसानों से बात नहीं कर रही है. अगर सरकार तीनों कानून और एमएसपी पर कानून नहीं बनाती है तो आने वाले दिनों में किसान कंपनियों के गोदामों को तोड़ने का टारगेट बनाएंगे.

पढे़ं:5 साल की मासूम बच्ची से Rape के आरोपी को फांसी की सजा, कोर्ट ने महज 17 दिन में सुनाया फैसला

रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे

राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों को आंदोलन करने पड़ेंगे. भाव सही नहीं मिलने पर किसान अपना अनाज लेकर जिला प्रशासन और कलेक्टरों के दफ्तरों के बाहर जाकर बैठना शुरू नहीं करेगा तब तक उनको फसल का वाजिब दाम नहीं मिलेगा. उत्तर प्रदेश में धान की खरीद नहीं होने पर किसान जिला कलेक्टर के दफ्तर के बाहर 300 ट्रैक्टर ट्राली लेकर बैठ गए थे. उन्होंने कहा कि किसानों को अपनी जमीन बचानी है तो अनाज को गोदामों में बंद होने से बचाना पड़ेगा. रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे.

राकेश टिकैत का मोदी सरकार पर हमला

नहीं तो किसान कंपनियों के गोदाम तोड़ देंगे

उन्होंने कहा कि आंदोलन आने वाले दिनों में तेज होगा और किसान दिल्ली में पड़ाव डाल कर लगातार डटे रहेंगे. इस समय देश में बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं. बैंक कर्मचारियों में इस प्रकार का भय है कि आंदोलन करेंगे तो उनका तबादला लेह-लद्दाख व दक्षिणी भारत में कर दिया जाएगा. या तो सरकार कृषि कानून वापस ले ले और एमएसपी पर कानून बना दे नहीं तो आने वाले दिनों में किसान कंपनियों के गोदामों को तोड़ने का टारगेट बनाएंगे.

टिकैत ने कहा सरकार को कंपनियां चला रही हैं

सरकार कंपनियां चला रही हैं

राकेश टिकैत ने ईटीवी भारत के सवाल के जवाब में कहा कि देश में संवैधानिक पदों की गरिमा नहीं रह गई है. शायद यही कारण है कि राष्ट्रपति से बिल का समर्थन करवा दिया. राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने भी कृषि बिल वापसी और एमएसपी पर कानून की बात कही है. टिकैत से जब आंदोलन के बहाने कांग्रेस की बी टीम बनकर काम करने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम सरकार की खिलाफत कर रहे हैं. सरकार किसी पार्टी की होती तो हमसे बात कर लेती. लेकिन सरकार को कंपनियां चला रही हैं. सरकार में कॉर्पोरेट घराने व बड़ी-बड़ी कंपनियां घुस गई हैं.

पढे़ं:राजस्थान उपचुनाव: हर बूथ पर बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए होगी अलग लाइन, मिलेगा पोस्टल बैलेट का विकल्प

सरकार बीपीएल कार्ड भी बंद करेगी

उन्होंने कहा कि जिसके पास बीपीएल कार्ड है यह उसका भी आंदोलन है क्योंकि सरकार यह कार्ड भी खत्म करेंगी. सरकार बीपीएल कार्ड खत्म करने से पहले लोगों को झांसा देंगी कि आपके खाते में सीधा पैसा ट्रांसफर किया जाएगा लेकिन बाद में गैस सिलेंडर की सब्सिडी की तरह एक रुपया भी नहीं मिलेगा. पूरे देश का किसान एमएसपी पर खरीद का कानून बाने की मांग को लेकर लड़ रहा है.

किसान आंदोलन राजनीति से नहीं जुड़ा

किसान आंदोलन के राजनीतिक जुड़ाव को लेकर टिकैत ने कहा कि आंदोलन कहीं से भी राजनीति से नहीं जुड़ा है. हम किसान की बात कर रहे हैं. बंगाल में हुई किसान सभा में भाजपा के पक्ष में मतदान नहीं करने का आह्वान करने के सवाल पर कहा कि भाजपा वहां के किसान से एक मुट्ठी चावल मांग रही है. हमने किसानों को बताया कि आप एक मुट्ठी चावल के बदले भाजपा से फसलों का समर्थन मूल्य मांगे.

किसान जमीन बेचने पर मजबूर हो जाएगा

राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों के लागू होने के बाद कंपनियां फसलों का कांट्रेक्ट करके जमीन ठेके पर लेंगी. किसान खेत में क्या बोएगा यह भी सरकार तय करेगी. केंद्र सरकार दूध का कानून, बिजली का कानून, खाद-बीज का कानून सहित देश में तमाम प्रकार के कानून लेकर आने वाली है. ऐसे में किसान को सोचना पड़ेगा कि उसकी जमीन की रखवाली कैसे होगी. सरकार इतने कानून लेकर आएगी कि किसान खुद ही अपनी जमीन कम्पनियों को ठेके पर देने के लिए मजबूर हो जाएंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details