नागौर.कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से आर्थिक रूप से प्रभावित हुए स्कूली बच्चों के अभिभावकों के लिए राज्य सरकार ने निजी स्कूल संचालकों को फीस नहीं मांगने के आदेश जारी किए थे. जिसके बाद अब शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में नागौर जिले के निजी स्कूल संचालकों ने सरकार के आदेश के खिलाफ मोर्चा खोल दिया.
निजी स्कूल संचालकों ने शिक्षा विभाग के खिलाफ खोला मोर्चा इस बैठक में नागौर जिले के निजी स्कूल संचालकों ने शिक्षा विभाग की मनमानी रवैये के खिलाफ जमकर नाराजगी जाहिर की. जिले के निजी स्कूल संचालकों ने नागौर जिला कलेक्टर डॉ. जितेंद्र कुमार सोनी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. शिक्षा बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की प्रदेश संयोजक हेमलता शर्मा ने प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि शिक्षा विभाग की ओर से एकतरफा फैसला लिया गया.
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शिक्षा मंत्री के बयान के बाद प्रदेश के निजी स्कूल से जुड़े 11 लाख कर्मचारियों के साथ निजी स्कूल संचालकों की आर्थिक स्थिति भी खराब होती जा रही है. कार्मिकों को समय पर वेतन तक नहीं दिया जा रहा है. इसके साथ ही निजी स्कूल के शिक्षकों और स्टाफ को समय पर वेतन का भुगतान भी नहीं हो पा रहा है. अपनी बात को सरकार तक स्कूल संचालकों ने अपनी समस्याएं पहुंचाई, लेकिन शिक्षा विभाग ने सिर्फ अभिभावकों के पक्ष लेकर एक तरफा फैसला दिया.
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साथ ही अगर शिक्षा विभाग निजी स्कूलों के पक्ष में फैसला नहीं देता तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन किया जाएगा. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ने आदेश जारी कर निजी विद्यालयों को 30 जून तक 3 महीने का स्कूल फीस स्थागित करने के आदेश दिए थे. इस आदेश को वर्तमान में स्कूल खोलने तक आगे बढ़ाया गया. निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम यानी आरटीई के तहत बकाया पैसे का भी मामला उठाया गया है.