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Special: सोने के भाव बिकने वाला ग्वार कैसे हुआ इतना सस्ता? पढ़ें ये रिपोर्ट

सोने के भाव बिकने वाला ग्वार अब किसानों को रुला रहा है. एक वक्त था जब प्रति क्विंटल ग्वार का भाव 35 हजार तक पहुंच गया था. जिसके बाद किसानों को ग्वार के उत्पादन में फायदा दिखा और किसानों ने एक बड़े क्षेत्र में ग्वार का उत्पादन शुरू कर दिया. लेकिन अब ग्वार का भाव 3 हजार से 4 हजार के बीच झूल रहा है. क्या कारण हैं ग्वार के भाव गिरने के, पढ़ें ये खास रिपोर्ट...

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ग्वार के भाव में कमी कैसे आई

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Published : Oct 29, 2020, 8:58 PM IST

श्रीगंगानगर. एक समय था जब ग्वार की फसल ने किसानों के वारे न्यारे कर दिए थे. किसानों की माली हालत में सुधार आने के पीछे ग्वार की फसल का बड़ा योगदान था. सोने के बराबर पहुंचे ग्वार के भाव ने किसानों की उम्मीदो को पंख लगा दिए थे. अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ग्वार गम की वैल्यू बढ़ने से ग्वार के भाव 35000 क्विंटल तक पहुंच गए थे. 2010-11 में ग्वार के भाव प्रति किलो के हिसाब से बढ़ते थे और किसानो को बड़ा फायदा मिलने लगा था.

ग्वार के भाव में कमी कैसे आई

ग्वार की मांग बढ़ने से ना केवल किसानों को फायदा मिलने लगा बल्कि ग्वार की किसान बड़े क्षेत्रफल में बुवाई करने लगे. लेकिन वर्तमान में ग्वार के भाव किसानों को रुला रहे हैं. अब ग्वार का प्रति क्विंटल भाव 3500 रुपए हो गया है. किसानों ने अच्छे भाव की उम्मीद में ग्वार की खेती पिछले कुछ समय में अधिक क्षेत्रफल में करके ग्वार का स्टॉक भी किया. लेकिन भाव ऊपर जा ही नहीं रहे हैं. किसानों के वारे न्यारे करने वाला ग्वार अब किसानों को गम दे रहा है.

अंतरराष्ट्रीय डिमांड कम होने पर घटा ग्वार का भाव

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धान मंडी में किसान ग्वार बेचने बड़ी मात्रा में लेकर आ रहे हैं लेकिन अब ग्वार के भाव ना होने से व्यापारी भी इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाते. मंडी में ग्वार की बोली के दौरान व्यापारी भी एक-एक रुपए के हिसाब से बढ़ाकर ग्वार की बोली लगवाते हैं. ग्वार का व्यापार करने वाले सुभाष बताते हैं कि अभी 3 से 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल मंडी में ग्वार बिक रहा है. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. एक समय था जब 35000 रुपए क्विंटल तक ग्वार का भाव गया था.

पिछले 7 साल से ग्वार 3 से 4 हजार के बीच बिक रहा है. सुभाष ने बताया कि उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ने से गवार की डिमांड बढ़ी थी, जिसके बाद ग्वार का अल्टरनेट निकाला गया तो भाव आसमान से जमीन में आ गए और किसान उसी बदहाली में पहुंच गया. मतलब साफ है कि किसान की फसल जो महंगे दामों में बिकने लगे तो उसका विकल्प निकाला जाता है. काफी समय से डिमांड कम रहने से ग्वार के भाव कम हो रहे हैं.

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अगर सरकार एक्सपोर्ट खोले तो बाजार में फिर से ग्वार के भाव बढ़ सकते हैं. किसान सुखविंदर सिंह कहते हैं कि कभी 30000 रुपए से ऊपर ग्वार बिका था तब किसान की माली हालत ठीक हुई थी लेकिन अब ग्वार की फसल में किसान का खर्चा पानी भी नहीं निकल रहा है. मंडी में व्यापारी ग्वार की बोली लगाने में भी ज्यादा रुचि नहीं ले रहे हैं. ग्वार की खेती करने वाले एक और किसान बलजिंदर सिंह कहते हैं कि मंडी में किसान का ग्वार एक-एक रुपए के हिसाब से बोली में बढ़ता है जबकि एक समय ऐसा था जब ग्वार की बोली बेतहाशा ऊपर जा रही थी.

किसान की हालत काफी खराब है ग्वार को लेकर किसान काफी मायूस हैं. व्यापारी दीपक कहते हैं कि एक समय था जब ग्वार के भाव एक रुपए किलो के हिसाब से चलते थे. आज मांग नहीं होने के चलते ग्वार के भाव क्विंटल के हिसाब से चल रहे हैं. उनका कहना है कि कोरोना की वजह से कुरुड कमजोर हैं जिसके चलते ग्वार की खरीद कमजोर है. पिछले कुछ समय से 3 से 4 हजार के बीच ग्वार के भाव चल रहे हैं.

दीपक ने बताया कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ग्वार की कीमत बढ़ी तो जितनी डिमांड थी उतना ग्वार का उत्पादन नहीं था. इसलिए ग्वार के भाव 35000 तक पहुंच गए. व्यापारियों की मानें तो ग्वार में उस समय अप्रत्याशित तेजी अब मंदी आने का एक कारण यह भी है कि जो एक्सपोर्ट उस समय 35000 था अब वह एक्सपोर्ट 13000 रह गया है. इसके चलते ग्वार के भाव में कमी आई है. 100 पर्सेंट तक एक्सपोर्ट गिरने के चलते ग्वार की फसल के भाव किसानों को नहीं मिल रहे हैं. साथ ही विदेश में जो ग्वार भेजा जाता था, अब उसका वहां की सरकारों ने वैकल्पिक रास्ते भी निकाल लिए हैं इसके चलते ग्वार की मांग कम रह गई है.

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