श्रीगंगानगर. जिले में आग लगने की तमाम घटनाएं हो चुकी हैं. हर साल कभी दुकानें तो कभी घर या गोदाम आग की चपेट में आ जाते हैं. त्योहारों पर अक्सर घटनाएं होती हैं, ऐसे में दमकल वाहनों की पर्याप्त व्यवस्था रहना आवश्यक है. जिला मुख्यालय में आग बुझाने वाली दमकल की गाड़ियों का दम पहले ही निकल चुका है. करीब 5 लाख की आबादी वाले शहर में दमकल की अधिकतर गाड़ियां खटारा हो चुकी हैं.
कुछ गाड़ियां तो लंबे समय से नगर परिषद की ओर से बजट जारी नहीं होने पर मरम्मत के अभाव में खड़ी हैं और कबाड़ होती जा रही हैं. ऐसे में भगवान न करे कोई बड़ी घटना होती है तो खटारा दमकल वाहन किस तरह आग पर काबू पा सकेंगे. दमकल वाहनों की हालत इतनी खस्ता है कि आगजनी की ज्यादातर घटनाओं में लोगों को खुद के स्तर पर ही प्रयास करने पड़ते हैं. नागरिक और जनप्रतिनिधि कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं, लेकिन खराब पड़े दमकल वाहनों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. कहने को तो फायर स्टेशन चालू हालत में हैं और इसमें 4 दमकल की गाड़ियां हैं, लेकिन चालू हालत में सिर्फ दो ही हैं.
वह भी एक 4 हजार व दूसरी 3 हजार लीटर पानी की क्षमता वाली दमकल गाड़ियां हैं, लेकिन इनमें भी आधुनिक तकनीक के उपकरणों और साधनों की कमी है. नगर परिषद बोर्ड की बैठकों में कई बार नई दमकल खरीदने की मांग उठाई गई, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो रही है.
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वाहन में लीकेज, आधुनिक उपकरण भी नहीं...
दमकल विभाग के अधिकारी भले ही फायर स्टेशन पर सब कुछ दुरुस्त होने के दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मुख्य सड़क पर खड़ी दमकल विभाग की गाड़ी पूरी तरह से खटारा हो चुकी है. आग बुझाने का दम इस दमकल वाहन में नहीं रह गया है. यही वजह है कि सड़क किनारे फायर स्टेशन के सिंबल की तरह खड़ी रहती है. इसी तरह से फायर स्टेशन के अंदर खड़ी दूसरी गाड़ी में पानी भरने के बाद लीकेज होता रहता है जिसके चलते आग लगने वाले स्थान पर पहुंचने से पहले ही आधा पानी बह जाता है.