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Special : दमकल वाहनों को निकल रहा दम...शहर की सुरक्षा राम भरोसे

श्रीगंगानगर में फायर स्टेशन पर तैनात दमकल वाहन शोपीस बन चुके हैं. फायर स्टेशन में खड़ीं दमकल की गाड़ियां खटारा हो गईं हैं. यहां चार दमकल वाहन हैं, जिनमें से सिर्फ दो ही चालू हालत में हैं. ऐसे में भगवान न करे कोई बड़ा हादसा हो जाता है तो आग बुझाने में ये दो वाहन कितने कारगर साबित होंगे कुछ कहा नहीं जा सकता. देखिये श्रीगंगानगर से ये रिपोर्ट...

दमकल वाहन बेकार, fire brigade vehicle situation
खटारा हो गए दमकल वाहन

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Published : Dec 3, 2020, 7:50 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले में आग लगने की तमाम घटनाएं हो चुकी हैं. हर साल कभी दुकानें तो कभी घर या गोदाम आग की चपेट में आ जाते हैं. त्योहारों पर अक्सर घटनाएं होती हैं, ऐसे में दमकल वाहनों की पर्याप्त व्यवस्था रहना आवश्यक है. जिला मुख्यालय में आग बुझाने वाली दमकल की गाड़ियों का दम पहले ही निकल चुका है. करीब 5 लाख की आबादी वाले शहर में दमकल की अधिकतर गाड़ियां खटारा हो चुकी हैं.

खटारा हो गए दमकल वाहन...

कुछ गाड़ियां तो लंबे समय से नगर परिषद की ओर से बजट जारी नहीं होने पर मरम्मत के अभाव में खड़ी हैं और कबाड़ होती जा रही हैं. ऐसे में भगवान न करे कोई बड़ी घटना होती है तो खटारा दमकल वाहन किस तरह आग पर काबू पा सकेंगे. दमकल वाहनों की हालत इतनी खस्ता है कि आगजनी की ज्यादातर घटनाओं में लोगों को खुद के स्तर पर ही प्रयास करने पड़ते हैं. नागरिक और जनप्रतिनिधि कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं, लेकिन खराब पड़े दमकल वाहनों की कोई सुध लेने वाला नहीं है. कहने को तो फायर स्टेशन चालू हालत में हैं और इसमें 4 दमकल की गाड़ियां हैं, लेकिन चालू हालत में सिर्फ दो ही हैं.

खटारा हो चुके वाहन...

वह भी एक 4 हजार व दूसरी 3 हजार लीटर पानी की क्षमता वाली दमकल गाड़ियां हैं, लेकिन इनमें भी आधुनिक तकनीक के उपकरणों और साधनों की कमी है. नगर परिषद बोर्ड की बैठकों में कई बार नई दमकल खरीदने की मांग उठाई गई, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हो रही है.

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वाहन में लीकेज, आधुनिक उपकरण भी नहीं...

दमकल विभाग के अधिकारी भले ही फायर स्टेशन पर सब कुछ दुरुस्त होने के दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मुख्य सड़क पर खड़ी दमकल विभाग की गाड़ी पूरी तरह से खटारा हो चुकी है. आग बुझाने का दम इस दमकल वाहन में नहीं रह गया है. यही वजह है कि सड़क किनारे फायर स्टेशन के सिंबल की तरह खड़ी रहती है. इसी तरह से फायर स्टेशन के अंदर खड़ी दूसरी गाड़ी में पानी भरने के बाद लीकेज होता रहता है जिसके चलते आग लगने वाले स्थान पर पहुंचने से पहले ही आधा पानी बह जाता है.

आग बुझाने में नाकाम दमकल वाहन...

वहीं, 15000 लीटर का ये ट्रोला पिछले 2 सालों से फायर स्टेशन में खराब ही खड़ा है. इस ट्रोले के टायर नहीं होने से अब यह आग बुझाने के लिए सड़क पर सरपट नहीं दौड़ सकता है. शहर की जनसंख्या को देखते हुए यहां दो फायर स्टेशन होने चाहिए, लेकिन किसी भी फायर स्टेशन में आधुनिक जरूरत के उपकरण तक नहीं हैं. ऐसे में आग लगने पर बड़ा नुकसान हो सकता है.

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जिला मुख्यालय पर बनी ऊंची इमारतों और संकरी गलियों में हादसा होने पर आग बुझाने के लिए हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के लिए कई बार मांग की गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. फिलहाल फायरमैन जान जोखिम में डालकर आग बुझाने का काम कर रहे हैं. फायर स्टेशन पर सिर्फ दो ही गाड़ी चालू कंडीशन में हैं. हालात ये हैं कि आग बुझाने के लिए 30 साल पुराने दमकल वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है.

1996 मॉडल की 3893 गाड़ी और 2004 मॉडल की गाड़ी अब पुरानी हो गई हैं. हैरानी तो इस बात की है कि आग बुझाने वाली इन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन भी रिन्यू नहीं हुआ है और बीमा भी खत्म हो चुका है. ऐसे में अगर इन गाड़ियों से कोई दुर्घटना हो जाए तो उसका मुआवजा तक नहीं मिलेगा. फायर स्टेशन पर चार गाड़ियां हैं जिसमें दो ही चालू हालत में हैं.

लंबे समय से रिक्त पड़े पद...

फायर स्टेशन में लंबे समय से कर्मचारियों के पद रिक्त पड़े हैं. स्टेशन पर 28 कर्मचारी होने चाहिए, लेकिन वर्तमान में फायर ऑफिसर के 10, लीडिंग फायरमैन के 4 और सहायक अग्निशमन अधिकारी का पद भी खाली है. वहीं, दमकल के ड्राइवर 5 हैं जो कि 12 होने चाहिए. फायरमैन के पद भी खाली हैं. ऐसे में हादसा होने पर दमकल के ये कर्मचारी खटारा वाहनों से किस प्रकार आग पर पा सकेंगे यह चिंता का विषय है. दमकल विभाग के अधिकारी भले ही बड़े-बड़े दावे करें, लेकिन फायर स्टेशन पर खड़े खटारा वाहन खुद ही व्यवस्था की पोल खोल रही है.

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