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श्रीगंगानगर : पिता के बाद बेटा भी 'कर्ज' की जिंदगी से हारा, कर्जमाफी के बाद ही अंतिम संस्कार पर अड़े किसान

श्रीगंगानगर में 12 फरवरी को एक किसान ने कर्ज से परेशान होकर कीटनाशक दवा पीकर अपनी जान दे दी. मृतक के पिता ने भी अगस्त 2018 में कीटनाशक पीकर अपनी जान दे दी थी. परिजनों ने बैंककर्मियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पुलिस कार्रवाई की मांग की है.

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Published : Feb 17, 2020, 4:48 PM IST

कर्ज से परेशान किसान, Farmer committed suicide
कर्ज से परेशान होकर किसान ने की खुदकुशी

श्रीगंगानगर. जिले के सादुलशहर कस्बे में साढ़े पांच लाख रुपए के लोन ने एक और किसान की जान ले ली. बैंक कर्ज से दबे इस किसान के पिता ने भी कर्ज से परेशान होकर करीब डेढ़ साल पहले खेत में कीटनाशक दवा पीकर जान दे दी थी. ऐसे में अपने पिता का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण बीते 12 फरवरी को इस किसान ने भी कीटनाशक पी लिया था.

कर्ज से परेशान होकर किसान ने की खुदकुशी

कीटनाशक पीने से तबीयत बिगड़ने के बाद किसान महेंद्र वर्मा का अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन रविवार रात आखिरकार उसकी मौत हो गई. साढ़े पांच लाख का लोन बढ़कर अब साढ़े आठ लाख हो चुका है. परिजनों ने बैंककर्मियों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाते हुए पुलिस कार्रवाई की मांग की है.

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किसान की कर्ज से मौत के बाद किसान संगठनों ने जिला अस्पताल में मृतक के परिजनों के साथ आन्दोलन की चेतावनी दी है. किसान नेताओं ने सरकार से पूरा कर्ज माफ करने की मांग करते हुए शव का अंतिम संस्कार नहीं करने का ऐलान किया है. किसानों के जिला अस्पताल में धरना शुरू करने के बाद जिला प्रशासन के भी हाथ-पांव फूल गए.

हैरानी तो इस बात की है, कि जिला प्रशासन ने जिन अधिकारियों को किसानों से वार्ता करने के लिए भेजा उन्हें यह तक मालूम नहीं है, कि मृतक किसान के ऊपर कितना कर्जा था.

किसान नेताओं ने अबतक की वार्ता में प्रशासन को दो टूक शब्दों में कहा है, कि जबतक मृतक किसान का पूरा कर्जा माफ नहीं होगा, तबतक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा.

मृतक के परिजनों का आरोप है, कि कर्ज चुकाने के लिए बैंक अधिकारी लगातार दबाव बना रहे थे. जिसके बाद परेशान किसान ने कीटनाशक पीकर जान देने का रास्ता चुन लिया.

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बताया जा रहा है, कि छापावाली निवासी मुखराम वर्मा ने SBI की सादुलशहर शाखा से साल 2016 में अपनी 5 बीघा जमीन पर साढ़े पांच लाख रुपए का कर्ज लिया था, लेकिन मुखराम यह कर्ज चुका नहीं पाया. ऐसे में कर्ज से परेशान होकर मुखराम ने अगस्त 2018 में कीटनाशक पीकर जान दे दी. इसके बाद उसके पुत्र महेंद्र वर्मा पर घर चलाने की जिम्मेदारी के साथ-साथ कर्ज का बोझ आ गया था.

परिजनों का आरोप है, कि पिछले कई दिन से महेंद्र के पास बैंककर्मियों के फोन आ रहे थे. इससे वह परेशान रहने लगा था. महेंद्र ने 12 फरवरी को सुबह कीटनाशक पी लिया. जिससे वह अचेत हो गया. परिजनों ने उसे सादुलशहर राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया. जहां से उसे गंभीर हालत में राजकीय चिकित्सालय भेजा गया.

इलाज के दौरान रविवार को किसान महेंद्र ने दम तोड़ दिया. मृतक के तीन पुत्री और एक पुत्र है. मृतक किसान महेंद्र वर्मा के परिजनों ने प्रशासन से उसे परेशान करने वाले बैंककर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने और बैंक लोन माफ करने की मांग की है. परिजनों का आरोप है, कि बैंककर्मी फोन कर उसे जेल भेजने की बात करते थे, जिससे वह परेशान हो गया था.

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उधर किसान संगठनों का कहना है, कि जबतक मृतक किसान का कर्जा माफ नहीं किया जाएगा, तबतक शव का अन्तिम संस्कार नहीं होगा. उन्होंने पीड़ित परिवार को आर्थिक मदद दिलाने की मांग भी की है.

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