सूरतगढ़ (श्रीगंगानगर).वैश्विक महामारी कोरोना को इलाके के बड़े बुजुर्ग बड़े ही आश्चर्य से देख रहे हैं. उनका कहना है कि इस बीमारी से बचने के लिए घर में ही रहना जरूरी है, वह बार-बार अपने बच्चों को यह हिदायत देते रहते हैं. परंतु उनके मन में कहीं ना कहीं इस बात का घोर आश्चर्य है कि यह बीमारी क्या है और इससे कब पीछा छूटेगा.
इस दौरान एक बुजुर्ग ने कहा कि ऐसी बीमारी 100 साल पहले आई थी, जब 12 कोस पर दीपक जलता दिखाई देता था और गांव के गांव खाली हो गए थे. वहीं, रामेश्वर दास स्वामी ने बताया कि 100 साल पहले ऐसी बीमारी आई थी, जब मृत शरीर को कल्याण भूमि ले जाने वालों की कमी आ गई थी, तब ऊटों पर लाशें लादकर अंतिम क्रिया के लिए ले जाया करते थे.