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श्रीगंगानगर प्रशासन से अनुमित की आस लगाए बिहार के छठ व्रती...समाज के लोगों में आक्रोश - श्रीगंगानगर जिला प्रशासन

श्रीगंगानगर में छठ पूजा महोत्सव को लेकर बुधवार तक स्थिति स्पष्ट नहीं होने से बिहारी समाज के लोगों में आक्रोश नजर आ रहा है. छठ पूजा के आयोजन को लेकर समिति जिला प्रशासन से अनुमति का इंतजार कर रही है, लेकिन प्रशासन ने अनुमति देने पर कोई निर्णय नहीं लिया है.

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श्रीगंगानगर प्रशासन से अनुमित की आस लगाए बिहार के छठ व्रती

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Published : Nov 18, 2020, 9:44 PM IST

श्रीगंगानगर.छठ पूजा महोत्सव को लेकर बुधवार तक स्थिति स्पष्ट नहीं होने से बिहारी समाज के लोगों में आक्रोश नजर आ रहा है. छठ पूजा के आयोजन को लेकर समिति जिला प्रशासन से अनुमति का इंतजार कर रही है, लेकिन प्रशासन ने अनुमति देने पर कोई निर्णय नहीं लिया है. ऐसे में समिति की ओर से तीन पुली पर छठ पूजा को लेकर तैयारियां की जाए या नहीं, इसका निर्णय समिति नहीं ले पा रही है. मिथिला सेवा समिति के पदाधिकारी छठ पूजा के लिए अनुमति लेने और अनेक व्यवस्थाएं करने की मांग को लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे हैं.

श्रीगंगानगर प्रशासन से अनुमित की आस लगाए बिहार के छठ व्रती

समिति की मांग है कि कार्यक्रम 20 नवंबर सुबह 8 बजे से लेकर 21 नवंबर तक होंगे. ऐसे में तीन पुल पर वाहनों का आवागमन रोकने और मौके पर गोताखोरों की टीम भेजने, मेडिकल टीम एंबुलेंस के साथ भेजने और दमकल की गाड़ी भेजने की व्यवस्था की जाए. समिति सदस्यों ने बताया कि पूजा नहर में खड़े होकर की जाती है. ऐसे में नहर में ढाई फूट पानी छोड़ने, नहर के आसपास शराब ठेके बंद किए जाए. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए जारी गाइडलाइंस के तहत धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम पर प्रतिबंध होने के बाद भी बिहारी समाज के लोगों ने कहा कि बिहारी समाज का सबसे बड़ा पर्व पर होता है. ऐसे में कोराना गाइडलाइंस की पालना करते हुए को पर्व मनाना चाहते हैं.

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वहीं मिथिला समाज का प्रमुख पर्व छठ पूजा बुधवार को नहाए खाए के साथ शुरू हो गया है. इस दिन समाज के लोगों ने स्नान करके शुद्ध होने के बाद भोजन आदि गतिविधियां शुरू की. घर में शुद्ध सात्विक भोजन बनवाया गया. पर्व शनिवार सुबह उदय होते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ संपन्न होगा. इस क्रम में गुरुवार को खरना मनाया जाएगा. इस दौरान मिथिलांचल समाज के लोग घरों में गुड़ की खीर पूरी आदि प्रसाद सामग्री बनाएंगे. इस सामग्री का गुरुवार शाम देवी को भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाएगा. इसके बाद से महिलाएं व्रत धारण करेगी और निराहार और निर्जल रहेगी.

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शुक्रवार शाम अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरी रात निराहार और निर्जल रहा जाएगा. शनिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही पर्व का समापन होगा. बुधवार को नहाए खाए के साथ पर्व शुरू हुआ और गुरुवार को खरना होगा. शुक्रवार शाम होने वाले आयोजन की अनुमति का इंतजार है. इस संबंध में प्रशासन को आवेदन दिया हुआ है. समाज के लोगों को प्रशासन से अनुमति का इंतजार है. समाज के घरों में तैयारियां शुरू हो गई है.

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