श्रीगंगानगर. श्रम कानून में बदलाव के विरोध में भारतीय मजदूर संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. श्रमिक संगठनों ने अपना विरोध दर्ज करते हुए श्रम संहिता में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को हटाने की मांग की. ज्ञापन देने आए संगठन सदस्यों ने कहा कि हाल ही में भारत सरकार की तरफ से तीन श्रम संहिता पारित की गई हैं. इन संहिताओं में बहुत से प्रावधान ऐसे हैं जो श्रमिक विरोधी हैं, इनके कारण श्रमिकों के अधिकारों का हनन होगा और उनके शोषण को बढ़ावा मिलेगा.
भारतीय मजदूर संघ की मोदी सरकार को चेतावनी, श्रमिक विरोधी प्रावधान खत्म हो नहीं तो...
श्रम कानून में बदलाव के विरोध में भारतीय मजदूर संघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. श्रमिक संगठनों ने अपना विरोध दर्ज करते हुए श्रम संहिता में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को हटाने की मांग की. भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि अगर इन प्रावधानों को खत्म नहीं किया जाता है को मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे.
मजदूर संघ ने कहा कि यूनियन के पंजीकरण हेतु न्यूनतम 10 फीसदी श्रमिक उस उद्योग में कार्य करते हैं या नहीं इसको प्रमाणित करने की प्रक्रिया जटिल है. ट्रेड यूनियन को मान्यता प्रबंधक पक्ष द्वारा 51 फीसदी सदस्यता होने पर ही दी जाएगी. भारतीय मजदूर संघ ने कहा कि ट्रिब्यूनल में पहले एक ही जज जिला जज की वेतन श्रृंखला का होता था. परंतु अब नए कानून के तहत एक प्रशासनिक अधिकारी भी निर्णय करने में शामिल होगा, जिससे श्रमिकों को न्याय मिलने की उम्मीद कम होगी.
भारतीय मजदूर संघ का कहना है कि हाल ही में बनाए गए श्रम कानूनों में श्रम विरोधी नियमों को शामिल किया गया है. ये सभी प्रावधान श्रमिकों के अधिकारों व गरिमा को कम करने वाले हैं. भारतीय मजदूर संघ इन सभी श्रमिक विरोधी प्रावधानों का विरोध करता है. ऐसे में श्रमिक विरोधी प्रावधानों को श्रम संहिता से हटाया जाए नहीं तो देश के श्रमिक संगठन सड़कों पर उतरेंगे. भारतीय मजदूर संघ कहा कि अगर आने वाले दिनों में श्रमिक विरोधी कानूनों को जल्द वापस नहीं लिया गया तो सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया जाएगा.