सीकर. कोरोना संक्रमण ने आज जिन्दगी पर ब्रेक सा लगा दिया है. संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए सरकार को लॉकडाउन लागू करना पड़ा. इस लॉकडाउन ने न केवल लोगों की आर्थिक, मानसिक-शारीरिक स्थिति को काफी हद तक प्रभावित किया. चूंकि लॉकडाउन के कारण सभी तरह की आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों को रोकना पड़ा इसलिए विकास की रफ्तार धीमा पड़ना भी लाज़मी था. नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में सांसद विकास कार्यों को गति देने ही वाले थे कि लॉकडाउन की बेड़ियों ने विकास के कार्यों की रफ्तार पर ब्रेक सा लगा दिया.
बात राजस्थान के सीकर जिले की करें तो यहां भाजपा सांसद सुमेधानंद सरस्वती के कोटे से इस साल में कई बड़ी वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी थी. कुछ जगह छोड़कर सभी जगह काम भी शुरू हो चुका था, लेकिन कोरोना वायरस के संकट की वजह से अब यह काम पूरे होना मुश्किल नजर आ रहा है.
प्रधानमंत्री के आह्वान पर सभी सांसद अपने 2 साल का बजट तो कोविड फंड में दे ही चुके हैं. वहीं पुराने शुरू हुए काम पहले ही ठप हो चुके हैं. आगामी 2 साल का बजट भी अब नहीं आएगा, ऐसे में अब विकास के कार्य पूरा होना मुश्किल है. सीकर जिले के आंकड़ों पर गौर करें तो सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती के कोटे से जिले के 7 विधानसभा क्षेत्र नीम का थाना, खंडेला, श्रीमाधोपुर, दातारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, सीकर और धोद के लिए इस साल में 54 कामों की वित्तीय स्वीकृति जारी हुई थी. इनमें से महज दो काम ऐसे हैं, जिनका काम पूरा हो चुका है और पैसा दिया जा चुका है. इसके अलावा 52 काम आज भी अटके हुए हैं यानी कि उन्हें पूरा नहीं किया जा सका है.
सीकर जिले में सांसद के कोटे से 3,04,50,000 के कामों की वित्तीय स्वीकृति जारी हो चुकी है, लेकिन बजट नहीं होने की वजह से यह काम पूरे नहीं हो पा रहे हैं. सीकर जिला परिषद के पास स्वामी सुमेधानंद सरस्वती के सांसद कोटे के पुराने बजट में से केवल 60 लाख रुपये बचे हुए हैं, जबकि वित्तीय स्वीकृति 3 करोड़ से ज्यादा रुपए की जारी हो चुकी है. इस वजह से अब यह काम पूरे होना मुश्किल है.