सीकर. छात्र संघ चुनाव नजदीक आते ही सीकर में एसएफआई की चर्चा होना लाजमी है. सीकर में लालगढ़ यानी माकपा के छात्र संगठन एसएफआई का हमेशा से बड़ा दबदबा रहा है. बताया जाता है कि एक जमाना था जब सीकर में छात्र संघ चुनाव के परिणाम लोगों को वोटिंग से पहले पता होते थे और यह कहा जाता था कि जीतेगी तो एसएफआई ही. बहरहाल, अब कहानी कुछ और है.
सीकर में कमजोर पड़े "लालगढ़" के सामने वजूद बचाने की चुनौती दरअसल जब से सीकर में एस के कॉलेज के कई भागो में विभक्त किया गया तब से एसएफआई लगातार कमजोर पड़ती गई और अन्य संगठन चुनाव जीतने लगे. 4 साल पहले तक सीकर एक ही कॉलेज हुआ करता था जो कि एस के कॉलेज था. इस कॉलेज के 50 साल के इतिहास में केवल तीन ही बार एसएफआई चुनाव हारी नहीं तो हमेशा चुनाव वही जीती है.
इसके बाद प्रशासन ने इस कॉलेज को चार भागों में विभाजित कर दिया गया. जिसमें कला, वाणिज्य और विज्ञान संकाय अलग बना दिया. वहीं छात्राओं के लिए भी कॉलेज अलग से शुरू कर दिया गया. इसके बाद ही कॉलेजों में एसएफआई कमजोर होने लगी और लगातार एबीवीपी भारी पड़ती गई.
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पिछले चुनाव की बात की जाए तो केवल विज्ञान महाविद्यालय में ही एसएफआई को जीत मिली. बाकी अन्य जगहों पर यहां तक कि कला में भी एबीवीपी विजयी रही. एसएफआई के छात्र नेता कहते हैं कि उनका संगठन कमजोर नहीं हुआ है और वह छात्र हितों के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं. इस चुनाव में फिर से वे अपनी ताकत दिखाएंगे.