नीमकाथाना (सीकर). इस बार प्रदेश में मानसून महरबान रहा. यहां तक की सीकर में भी अच्छी बारिश देखने को मिली. लेकिन जिले के नीमकाथाना क्षेत्र को मानसून की बेरूखी झेलनी पड़ी. औसत बारिश के बावजूद पानी नहीं पहुंचने से नीमकाथाना के सभी 21 बांध और एनीकट सूखे हैं.
नीमकाथाना के सभी 21 बांध सूखे...50 लाख का मछली कोराबार ठप दरअसल, औसत बारिश के बावजूद नीमकाथाना के सभी 21 बांध सूखे हैं. जिसका नतीजा है कि मत्स्य उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ है. मानसूनी सीजन में सभी बांध खाली रहने से भूजल स्तर गिरने के साथ जल संकट गहराने का खतरा बन गया है.वहीं मछली करोबार पर भी बुरा असर पड़ा है. अब बांध-एनीकट सूखने से मछली पालन संभव ही नहीं हो पा रहा है.
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दरअसल, मत्स्य विभाग की ओर से नीमकाथाना के बांधों में मछली उत्पादन कराया जा रहा है. निजी तालाब व छोटे एनीकटों में स्थानीय लोग भी मछली कारोबार करते हैं. प्रतिवर्ष मत्स्य व पंचायतीराज विभाग मछली पालन का टेंडर करता है. नीमकाथाना में करीब 50 लाख का मछली उत्पादन कारोबार है. रायपुर पाटन व जीलो बांध में बड़े पैमाने पर मछली उत्पादन शुरू हुआ था. यहां से प्रतिदिन करीब 15-20 क्विंटल मछली दिल्ली मार्केट में सप्लाई होती थी. स्थानीय स्तर पर मछली की खपत नहीं हैं.
निजी किसानों की ओर से भी 8 से 10 क्विंटल मछली दिल्ली मार्केट में बेची जा रही है, लेकिन अब जलस्त्रोतों के सूखने से मछली उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है. रायपुर पाटन बांध में बहुत कम मात्रा में पानी बचा है. मछली के बच्चे ग्रोथ नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में यहां से ट्रकों के जरिए मछली के बच्चों को बूंदी जिले में शिफ्ट किया जा रहा है. मत्स्य विभाग के प्रमुख मछली कारोबारी महेन्द्रसिंह ने बताया कि बारिश की कमी से बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है. अकेले रायपुर पाटन बांध से करीब 36 लाख रूपएं का मछली कारोबार होता है.
इस बार नहीं होगा मछली उत्पादन
बांध-एनीकट सूखने से इस बार मछली उत्पादन ठप रहेगा. सितंबर माह में ही रायपुर पाटन बांध से मछली के बच्चों को बूंदी जिले में शिफ्ट कर दिया गया है. उत्पादन नहीं होने से दिल्ली के मछली मार्केट में कीमते बढ़ेंगी. कारोबारी महेन्द्रसिंह ने बताया कि नीमकाथाना में रेहु, कतला व रंगीन मछलियों की पांच प्रजातियों का उत्पादन करते हैं. दिल्ली मार्केट में नीमकाथाना के बांधों की मछलियों की खासी डिमांड रहती है.
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पिछले 7 सालों में बारिश के आंकड़े
अगर बात पिछले 7 सालों की करें तो साल 2013 में 741 मिमी बारिश दर्ज हुई थी. जिसके बाद 2014 में बारिश घटकर 689 मिमी दर्ज की गई. वहीं साल 2015 में भी अच्छी बारिश ना होकर 683 मिमी दर्ज हुई. साल 2016 में 2015 की तुलना में थोड़ी राहत मिली और बारिश 751 मिमी दर्ज की गई. वहीं साल 2017 में बारिश घटकर 494 मिमी दर्ज हुई. वहीं साल 2018 में अच्छी बारिश देखी गई जो 844 मिमी दर्ज हुई. वहीं अबकी बार साल 2019 में 651 मिमी दर्ज की गई.