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विश्व पर्यटन दिवस: विश्व प्रसिद्ध हैं शेखावाटी की हवेलियां, प्रशासन की बेरूखी के चलते हो रही बदरंग - विश्व प्रसिद्ध हवेलियां

विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर आपको लेकर चलते हैं सीकर में, यहां की ऐतिहासिक हवेलियां और भित्ति चित्र किसी जमाने में विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद रही हैं. लेकिन ताज्जुब देखिए, बड़ी-बड़ी बातें करने वाले प्रशासन की अनदेखी की वजह से इन हवेलियों की जगह अब बड़े-बड़े मार्केट बन गए हैं.

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Published : Sep 27, 2019, 1:28 PM IST

सीकर.शेखावाटी की ऐतिहासिक हवेलियां और यहां के भित्ति चित्र, जो किसी जमाने में विदेशी पर्यटकों की पहली पसंद रही हैं. देश-विदेश से काफी संख्या में पर्यटक इन हवेलियों को देखने के लिए यहां आते रहे हैं. लेकिन पिछले कुछ सालों से लोगों ने इन हवेलियों को तोड़ना शुरू कर दिया और इन जगह बड़े-बड़े मार्केट बनने लगे. इसका सबसे बड़ा नुकसान पर्यटन के क्षेत्र में हुआ और पर्यटकों की संख्या लगातार घटती गई.

शेखावाटी की हवेलियां...अब झेल रहीं प्रशासन की बेरूखी

शेखावाटी की हवेलियों के भित्ति चित्र विश्व में प्रसिद्ध हैं. शेखावाटी के रामगढ़, मंडावा, फतेहपुर और नवलगढ़ ये चार शहर ऐसे हैं. जहां सबसे ज्यादा हवेलियां हैं. मंडावा में लोगों ने पर्यटन को समझा और अब उसी से वहां लाखों रुपए की आय हो रही है. लेकिन सीकर जिले के रामगढ़ और फतेहपुर में न तो लोगों ने पर्यटन व्यवसाय को समझा और न प्रशासन ने इस तरफ कोई ध्यान दिया है. नतीजतन पिछले कुछ सालों में यहां पर्यटन व्यवसाय लगातार ठप होता गया है. फतेहपुर और रामगढ़ में लगातार हवेलियों को तोड़ने का काम हुआ है और इनकी जगह बड़े-बड़े मार्केट बन गए.

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किसी जमाने में फतेहपुर और रामगढ़ में 300 से ज्यादा हवेलियां थी. लेकिन अब 100 हवेलियां भी नहीं बची हैं. अब तो हालात यह हैं कि इन इलाकों से पर्यटकों का पूरी तरह से मोहभंग होने लगा है. एक बड़ी समस्या यह भी है कि यहां आने वाले पर्यटकों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाती. रुकने के लिए अच्छे होटल भी नहीं है. कुछ साल पहले तक यहां हर साल 15 से 20 हजार विदेशी पर्यटक आते थे. लेकिन पिछले दो साल में महज पांच से सात हजार पर्यटक ही पहुंचे हैं. इस साल तो यह आंकड़ा और भी कम रहने की आशंका है. पिछली वसुंधरा सरकार ने शेखावाटी के फतेहपुर, रामगढ़, मंडावा और नवलगढ़ को मिलाकर पर्यटन सर्किट बनाने का ऐलान किया था, लेकिन वह योजना भी ठंडे बस्ते में चली गई.

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