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स्पेशल: राष्ट्रीय दलों से विधायकी का चुनाव लड़ने वालों को भी रास आ रही पंचायती

राजनीति में किसी भी तरीके से सरपंच के चुनाव को सबसे मुश्किल भरा चुनाव माना जाता है. गांव में कहा जाता है कि विधायक और सांसद से भी चुनौती भरा होता है सरपंच बनना. यह एकमात्र ऐसा चुनाव होता है, जिसमें पीढ़ियों की खींचतान और गांव की आपसी प्रतिस्पर्धा एक साथ चलती है. दूसरी तरफ यह भी माना जाता है कि यह चुनाव राजनीति की सबसे कठिन सीढ़ी होती है.

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Published : Oct 3, 2020, 9:24 PM IST

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विधायकी का चुनाव लड़ने वालों को भी रास आ रही पंचायत की पंचायती

सीकर.गांवों में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर उम्मीदवारों और जनता की धारणाएं बदलने लगी हैं. राष्ट्रीय पार्टियों से विधायकी का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी सरपंच के चुनाव को लेकर जोर आजमाइश लगा रहे हैं. सीकर की फतेहपुर पंचायत समिति में दो प्रत्याशी ऐसे हैं, जो अपने गांव से सरपंच का चुनाव लड़ रहे हैं. दोनों ने ही फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से राष्ट्रीय पार्टियों से विधायक का चुनाव लड़ा है और वह भी साल 2018 के विधानसभा चुनाव में.

विधायकी का चुनाव लड़ने वालों को भी रास आ रही पंचायत की पंचायती

विधानसभा चुनाव में सीकर की फतेहपुर सीट से बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ने वाली जरीना खान बेसवा ग्राम पंचायत से मैदान में हैं. जरीना अभी भी बेसवा ग्राम पंचायत की सरपंच हैं. सरपंच रहते हुए उन्होंने विधायकी का चुनाव लड़ा. विधायक का चुनाव नहीं जीता तो अब फिर से सरपंच बनने की चाह में मैदान में डटी हैं. वहीं फतेहपुर सीट से ही मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी से विधायक का चुनाव लड़ने वाले आबिद हुसैन अब सरपंच चुनाव में गारिन्डा ग्राम पंचायत से मैदान में हैं. आबिद हुसैन पहली बार सरपंच के लिए मैदान में उतरे हैं. गारिन्डा पंचायत में भी आमने-सामने का मुकाबला है. ये ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनको विधायक की कुर्सी तो नहीं मिली. लेकिन पंचायत की पंचायती करना चाहते हैं और सरपंच बनना चाहते हैं.

उम्मीदवारों और जनता की धारणाएं बदलने लगी हैं

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पंचायत पहली सीढ़ी है : आबिद

ग्राम पंचायत का चुनाव लड़ने के मामले में आबिद हुसैन का कहना है कि ग्राम पंचायत राजनीति की पहली सीढ़ी है. लोगों ने विश्वास के साथ खड़ा किया है. आबिद का कहना हैं कि जनता की सेवा करूंगा और जो काम ग्राम पंचायत में सरपंच बनकर करूंगा तो जनता के सामने वो काम रख सकूंगा. मेरी पंचायत के काम को पूरी विधानसभा में दिखा कर तुलना करवाऊंगा. उन्होंने कहा कि चुनाव छोटा बड़ा नहीं होता है.

विधायकी का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी भी सरपंच के चुनाव को लेकर जोर आजमाइश लगा रहे

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ग्राम पंचायत मेरा परिवार : जरीना खान

बेसवा सरपंच और बसपा से विधानसभा चुनाव लड़ने वाली जरीना खान ने कहा कि ग्राम पंचायत तो खुद का परिवार है. पूरे विधानसभा क्षेत्र की सेवा के लिए जनता ने मौका नहीं दिया तो भी ग्रामीणों की सेवा के लिए वे तत्पर हैं. बीते 5 साल में सरपंच रहते हुए कई काम करवाए, जो सरपंच के लेवल से ऊपर थे. ग्राम पंचायत के लोगों का प्यार है कि अबकी बार फिर मैदान में उतारा है और सरपंच बनाना चाह रहे हैं.

रास आ रही पंचायत की पंचायती

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ग्राम पंचायत गारिन्डा और बेसवा ग्राम पंचायत के लोगों का इस संबंध में कहना हैं कि अगर यह सरपंच बनते हैं तो इनके अनुभव का ग्रामीणों को लाभ मिलेगा. ग्रामीणों ने बताया कि राष्ट्रीय पार्टियों से विधायक का चुनाव लड़ा है तो क्षेत्र में लोकप्रियता बढ़िया है. ऐसे में अधिकारियों से जुड़ाव और बड़े नेताओं से जो संपर्क है. उनका फायदा मिल सकेगा, इसलिए यह चुनाव बहुत अहम है.

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