सीकर. पिछले कुछ दिन से सीकर जिले में लगातार टिड्डी दल का आतंक बढ़ता जा रहा है. जिले में कई जगह टिड्डी दलों ने फसलों को काफी नुकसान भी पहुंचाया है. बता दें कि यह समय टिड्डियों के प्रजनन का होता है...ऐसा हुआ तो हालात और भी बेकाबू हो सकते हैं. कृषि विभाग का दावा है कि यह टिड्डियां ब्रीडिंग वाली नहीं हैं, क्योंकि अभी तक जिले में जो भी टिड्डियां आईं हैं वो दूसरे देशों से हवा के सहारे यहां तक पहुंची हैं. इनकी ब्रीडिंग अफ्रीका या पाकिस्तान में हुई है.
जानकारी के मुताबिक सीकर में 22 मई को पहली बार टिड्डी दल देखा गया था. इसके बाद लगातार जिले में टिड्डी दल दिखाई दे रहा हैं, जिनमें 1 किलोमीटर से लेकर 5 किलोमीटर तक के दल शामिल है. अब तक सीकर जिले में 17 बार टिड्डी दल पहुंचा हैं. इनमें दांतारामगढ़ तहसील में 5 बार, धोद तहसील में 6 बार, लक्ष्मणगढ़ में 4 बार, सीकर में 2 बार, नीमकाथाना में 1 बार, फतेहपुर में 3 बार, खंडेला में 2 और श्रीमाधोपुर में 1 बार टिड्डी दल दिखाई दिया हैं. इन्होंने अब तक 57 जगह पर पड़ाव डाला है. कृषि विभाग का दावा है कि इनसे निपटने के लिए जिले में सभी ग्राम पंचायतों में 1 हजार ट्रैक्टर स्प्रे के लिए तैयार है, जिनसे जहां भी जरूरत पड़ती है वहां स्प्रे करवाया जा रहा है और लगातार कीटनाशक का छिड़काव कर इन्हें मारा जा रहा है.
1-2 महीने बाद ब्रीडिंग का समय...
बता दें कि सीकर में आने वाली टिड्डियां बहुत छोटी हैं और हल्के गुलाबी रंग की हैं. इनकी ब्रीडिंग अभी नहीं हो सकती. लेकिन अगर अगले एक-दो महीने में इन्हें खत्म नहीं किया गया तो उसके बाद यह ब्रीडिंग के लायक हो जाएंगी. कृषि विभाग के पास 24 घंटे में से महज 4 घंटे का समय ही टिड्डियों को मारने के लिए रहता है. रात 1 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक ही इन्हें मार पाना संभव है. दिन में यह बहुत ही स्पीड से उड़ती है और वजन में भी काफी हल्की है. इसलिए काफी ऊंचाई पर रहती हैं जहां तक दवा का छिड़काव नहीं हो पाता है, और रात में भी बैठने के बाद काफी देर तक हलचल करती हैं. इसलिए इनके शांत होने के बाद ही इन्हे मारा जा सकता है.