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Special : सीकर में टिड्डी आतंक को लेकर कृषि विभाग के उपनिदेश का बड़ा बयान...खुद सुनिए क्या कहा - ETV Bharat news

पूरे प्रदेश में इन दिनों टिड्डियों का आतंक का जारी है. इसी बीच सीकर जिले में टिड्डियों का आगमन लगातार हो रहा है, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें छा रही हैं. वहीं, कृषि विभाग का कहना है कि अगर अगले एक-दो महीने में इन्हें खत्म नहीं किया गया तो उसके बाद यह प्रजनन के लायक हो जाएंगी. जिसके बाद स्थिति काफी गंभीर हो सकती है. सुनिए क्या कहा कृषि विभाग के उपनिदेशक ने...

sikar locust attack,  सीकर में टिड्डी दल का हमला
17 टिड्डी दलों ने डाला 57 जगह पड़ाव

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Published : Jul 1, 2020, 2:27 PM IST

सीकर. पिछले कुछ दिन से सीकर जिले में लगातार टिड्डी दल का आतंक बढ़ता जा रहा है. जिले में कई जगह टिड्डी दलों ने फसलों को काफी नुकसान भी पहुंचाया है. बता दें कि यह समय टिड्डियों के प्रजनन का होता है...ऐसा हुआ तो हालात और भी बेकाबू हो सकते हैं. कृषि विभाग का दावा है कि यह टिड्डियां ब्रीडिंग वाली नहीं हैं, क्योंकि अभी तक जिले में जो भी टिड्डियां आईं हैं वो दूसरे देशों से हवा के सहारे यहां तक पहुंची हैं. इनकी ब्रीडिंग अफ्रीका या पाकिस्तान में हुई है.

कृषि विभाग के उपनिदेशक से ईटीवी भारत की खास बातचीत

जानकारी के मुताबिक सीकर में 22 मई को पहली बार टिड्डी दल देखा गया था. इसके बाद लगातार जिले में टिड्डी दल दिखाई दे रहा हैं, जिनमें 1 किलोमीटर से लेकर 5 किलोमीटर तक के दल शामिल है. अब तक सीकर जिले में 17 बार टिड्डी दल पहुंचा हैं. इनमें दांतारामगढ़ तहसील में 5 बार, धोद तहसील में 6 बार, लक्ष्मणगढ़ में 4 बार, सीकर में 2 बार, नीमकाथाना में 1 बार, फतेहपुर में 3 बार, खंडेला में 2 और श्रीमाधोपुर में 1 बार टिड्डी दल दिखाई दिया हैं. इन्होंने अब तक 57 जगह पर पड़ाव डाला है. कृषि विभाग का दावा है कि इनसे निपटने के लिए जिले में सभी ग्राम पंचायतों में 1 हजार ट्रैक्टर स्प्रे के लिए तैयार है, जिनसे जहां भी जरूरत पड़ती है वहां स्प्रे करवाया जा रहा है और लगातार कीटनाशक का छिड़काव कर इन्हें मारा जा रहा है.

गाड़ियों से दवा का होता छिड़काव

1-2 महीने बाद ब्रीडिंग का समय...

बता दें कि सीकर में आने वाली टिड्डियां बहुत छोटी हैं और हल्के गुलाबी रंग की हैं. इनकी ब्रीडिंग अभी नहीं हो सकती. लेकिन अगर अगले एक-दो महीने में इन्हें खत्म नहीं किया गया तो उसके बाद यह ब्रीडिंग के लायक हो जाएंगी. कृषि विभाग के पास 24 घंटे में से महज 4 घंटे का समय ही टिड्डियों को मारने के लिए रहता है. रात 1 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक ही इन्हें मार पाना संभव है. दिन में यह बहुत ही स्पीड से उड़ती है और वजन में भी काफी हल्की है. इसलिए काफी ऊंचाई पर रहती हैं जहां तक दवा का छिड़काव नहीं हो पाता है, और रात में भी बैठने के बाद काफी देर तक हलचल करती हैं. इसलिए इनके शांत होने के बाद ही इन्हे मारा जा सकता है.

थाली बजाकर टिड्डियों को भगाते किसान

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फिलहाल ज्यादा नुकसान का आंकलन नहीं...

सीकर जिले में अब तक कई जगह टिड्डी दल ने पड़ाव डाला है. लेकिन अभी तक कहीं से भी ज्यादा नुकसान का आंकलन नहीं किया गया है. कृषि विभाग का कहना है कि जिले में फिलहाल खरीफ की फसल की बुवाई का दौर चल रहा है और अभी तक तो केवल 30 फीसदी बुवाई ही हुई है. इस वजह से खेतों में बड़ी फसलें नहीं हैं. अभी तक केवल बड़े पेड़ों पर ही टिड्डी का प्रकोप है.

आसमानों में मंडराती टिड्डियां

कृषि विभाग ने बताई यह तैयारी...

जिले में टिड्डी दल से निपटने की जिम्मेदारी कृषि विभाग को दी गई है. कृषि विभाग का कहना है कि जिले के 1 हजार ट्रैक्टर मालिकों से बात की गई है, जिनके पास कीटनाशक छिड़कने वाले यंत्र है. जिसकी भी गांव में जरूरत पड़ेगी वहीं से इनका ट्रैक्टर किराए पर लेकर छिड़काव करवा दिया जाएगा. इसके अलावा कीटनाशक की व्यवस्था क्रय विक्रय सहकारी समितियों के जरिए की गई है और वहां से कीटनाशक उपलब्ध करवाया जा रहा है. जिले में फिलहाल कीटनाशक की कमी नहीं है. सभी विधानसभा क्षेत्रों में विभाग की टीमों को सर्वे के लिए भी लगाया गया है.

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