सीकर.जिले में पिछले कुछ दिनों में कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रण विभाग ने कई बड़े टिड्डी दलों को मार गिराया था. उन को मारने के बाद किसान और सरकारी महकमे आश्वस्त थे कि अब बड़े टिड्डी दल नहीं है और फसलों को नुकसान नहीं होगा. लेकिन जहां पर टिड्डियों ने पड़ाव डाला था, वहां पर निकलने वाला फाका (टिड्डी के अंडों से निकले वाला जीव) कृषि विभाग और किसानों के लिए बड़ी टेंशन बन गया है. इस फाका से बहुत जल्द टिड्डी तैयार हो जाती है. अब कृषि विभाग और टिड्डी नियंत्रण विभाग इसे खत्म करने में लगे हैं.
टिड्डियों के प्रजनन के लिए अनुकूल सीकर की मिट्टी जानकारी के मुताबिक करीब 15 दिन पहले सीकर जिले में कई जगह बड़े टिड्डी दल देखे गए थे. जिले के धोद इलाके के सबसे बड़े दल थे और इसके अलावा फतेहपुर और लक्ष्मणगढ़ में भी कई गांव में इनका पड़ाव हुआ था. धोद इलाके के किरडोली और आस-पास के गांव में जिले का सबसे बड़ा दल देखा गया था और आखिर में कृषि विभाग की टीम और टीड्डी नियंत्रण विभाग ने इसे मार गिराया था. लेकिन जहां पर रात को इनका पड़ाव हुआ था, वहां पर जमीन में इनके अंडे मिलने से विभाग परेशानी में आ गया.
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कृषि विभाग का कहना है कि इन गांव की मिट्टी इनके प्रजनन के लिए सबसे अनुकूल निकली. क्योंकि जमीन में नमी रहती है और जमीन कड़क नहीं है. इस वजह से इस जमीन में टिड्डी आसानी से घुस जाती हैं. इसी की वजह से इन दलों को मारने के 15 दिन बाद अब कई गांव में फाका निकलने लगा है. फाका निकलने के बाद किसानों की टेंशन और बढ़ गई है, क्योंकि अगर इसी जगह पर वापस टीड्डी निकलती है तो वह यहां की जलवायु अनुकूल हो जाती है और ज्यादा नुकसान करती है.
नष्ट करने में लगी हैं विभाग की टीमें
जिले के कई गांव में फाका निकलने के बाद अब कृषि विभाग और टीड्डी नियंत्रण विभाग की टीम ने इसे नष्ट करने में लगी है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर इसी स्टेज में यह लक्ष्य नहीं हुआ तो उसके बाद हालात बिगड़ सकते हैं. क्योंकि यह बहुत तेजी से वृद्धि करता है. अभी जो टीड्डी दल आए हैं वह देश के बाहर से आए हैं लेकिन अगर यही प्रजनन होकर दल बनते हैं तो वे ज्यादा नुकसान देते हैं. इसके साथ ही गांव के किसान भी आक्रोशित है. किसानों का कहना है कि कोई भी जनप्रतिनिधि अभी तक उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है.