सीकर. जिले का एकमात्र कृषि कॉलेज के लिए सात साल पहले 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब बजट भाषण में इसकी घोषणा की तो जिले के लोगों में खुशी का ठिकाना नहीं था. सीकर जिला खेती-किसानी के लिहाज से अग्रणी होने की वजह से यहां लंबे समय से इसकी जरुरत महसूस की जा रही थी. लोगों की उम्मीदों के मुताबिक यह कॉलेज 2013 में शुरू भी हो गया.
सीकर के कृषि कॉलेज में बढ़ रहे छात्र उसके बाद से यह प्रदेशभर के स्टूडेंट की पसंद बन रहा है लेकिन सात साल में यहां सुविधाओं के नाम पर कुछ भी विकसित नहीं हो पाया. हालात यह हैं कि कॉलेज का भवन भी अभी तक तैयार नहीं हो पाया है. आज भी यह कॉलेज कृषि अनुसंधान केंद्र के कमरों में चल रहा है.
यह भी पढ़ें:Special: सोलर एनर्जी खरीद में बना नया रिकॉर्ड, डिस्कॉम ने अब तक की सबसे न्यूनतम दर पर खरीदी बिजली
जिले के फतेहपुर में संचालित एकमात्र कृषि कॉलेज छात्रों की पसंद बनता जा रहा है. जोबनेर स्थित श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के अधीन इसका संचालन किया जा रहा है. इस साल के कटऑफ के मुताबिक यह कॉलेज प्रदेश में छठे नंबर पर है जहां अच्चे अंक प्राप्त करने वाले स्टूडेंट को ही दाखिला मिल पाया है. इससे ऊपर वे कॉलेज हैं जो कृषि विश्वविद्यालयों के कैंपस में संचालित हो रहे हैं. प्रदेश के 291 कृषि कॉलेज में यह कॉलेज भले ही छठे नंबर पर पहुंच गया हो लेकिन यहां सुविधाएं आज भी न के बराबर हैं.
कृषि अनुसंधान केंद्र में चल रहा कॉलेज पहले भवन निर्माण में भ्रष्टाचार के बाद दोबारा नई बिल्डिंग बनाई जा रही...
कृषि कॉलेज के लिए पहले भवन बनाने का काम शुरू हो गया था. कुछ कमरे बनने शुरू हुए तो इसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे. जांच हुई तो इसमें गड़बड़ी पाई गई और आखिरकार उस भवन को तोड़ने का फैसला लिया गया. इसके बाद नए भवन का दोबारा नक्शा बनाकर काम शुरू किया गया. 2017 में आरएसआरडीसी ने यहां निर्माण कार्य शुरू किया था. नियमों के मुताबिक 2018 में भवन का काम पूरा होना था और उसी वक्त कॉलेज को सुपुर्द करना था, लेकिन आज तक भवन का काम पूरा नहीं हो पाया है और अभी काफी समय लगने की संभावना है.
कृषि कॉलेज का निर्माणाधीन भवन यह भी पढ़ें:Special: बदली सोच ने बदला बेटियों का जीवन, सरकारी योजनाओं ने भी दिया हौसला
स्मार्ट क्लास कहां चलाएं...किताबें रखने की भी जगह नहीं...
ऑनलाइन क्लास के लिए कॉलेज को प्रोजेक्टर और एलईडी सहित अन्य सामान आवंटित हो चुके हैं लेकिन समस्या यह है कि इन्हें लगाया कहां जाए ? एलईडी, प्रोजेक्टर लगाने के लिए कमरे ही नहीं हैं. कॉलेज की लाइब्रेरी के लिए भी जगह नहीं है. जबकि हजारों किताबों की खरीद की जा चुकी है. इसके साथ-साथ अभी तक एनसीसी भी यहां पर शुरू नहीं हो पाई है.
कृषि कॉलेज में कक्ष भी नहीं यह इस बार की कट ऑफ...
सीकर के कृषि कॉलेज की बात करें तो इस बार की जनरल कट ऑफ 348 जेईटी में प्राप्त अंकों के आधार पर हुई है. इसके साथ-साथ ओबीसी की कट ऑफ 351 रहा है. कॉलेज में एक बैच में 64 सीटें हैं यानी कि 4 साल के मिलाकर 240 स्टूडेंट्स महाविद्यालय में पढ़ रहे हैं.