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Published : Apr 18, 2020, 10:02 AM IST

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EXCLUSIVE: दूसरे राज्यों की मंडियों में नहीं जाने से 7 दिन में औंधे मुंह गिरे प्याज के भाव, किसानों पर मार

सीकर के प्याज के दाम दुसरे राज्यों में नहीं जा पाने की वजह से 1 हफ्ते में ही आधे हो गए. इस वजह से किसानों को उनकी लागत का भी पूरा मूल्य नहीं मिल पा रहा है क्योंकि किसानों का कहना है कि उन्हें 6 रुपए किलो तक की लागत आती है.

सीकर प्याज की खबर, sikar onion news
7 दिन में औंधे मुंह गिरे प्याज के भाव

सीकर.रबी की सीजन में प्रदेश के सबसे बड़े प्याज उत्पादक सीकर में प्याज की बंपर पैदावार हुई है. लेकिन देश भर में चल रहे लॉकडाउन की वजह से प्याज दूसरे राज्यों की मंडियों में कम जा रहा है. इसी वजह से प्याज के भाव 1 हफ्ते में ही आधे हो गए हैं.

7 दिन में औंधे मुंह गिरे प्याज के भाव

जानकारी के मुताबिक किसान प्याज लगातार सीकर मंडी में ला रहे हैं और यहां पर प्याज की बंपर आवक हो रही है. 7 दिन पहले तक सीकर मंडी में प्याज 12 रुपए किलो थोक के भाव बिक रहा था. लेकिन अब यही प्याज 6 से 7 रुपए किलो थोक के भाव बिक रहा है. इस वजह से किसानों को उनकी लागत का भी पूरा मूल्य नहीं मिल पा रहा है क्योंकि किसानों का कहना है कि उन्हें 6 रुपए किलो तक की लागत आती है.

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दूसरे राज्यों में कम जा रहा है प्याज

हालांकि लॉकडाउन के दौरान प्याज की सप्लाई पर सरकार की तरफ से रोक तो नहीं है लेकिन सीकर जिले का प्याज सबसे ज्यादा दूसरे राज्यों में जाता है. जिसमें पंजाब और हरियाणा शामिल है. इस वक्त हालात यह है कि वहां की मंडियां बहुत ही कम समय के लिए खुलती हैं. इसके साथ-साथ दूसरे राज्यों की सीमा में प्रवेश करते हैं तो वाहन चालकों को परेशानी होती है और इसी वजह से प्याज दूसरे राज्यों में कम जा रहा है. यही कारण है कि प्याज के भाव लगातार गिर रहे हैं.

हर दिन आ रहा है 6000 क्विंंटल प्याज

सीकर मंडी में इस समय हर दिन करीब 6 हजीर क्विंटल प्याज की आवक हो रही है. हालांकि मंडी के अधिकारियों का कहना है कि इस साल भाव ज्यादा कम नहीं हुए हैं क्योंकि पिछले साल प्याज इस समय 5 रुपए किलो थोक में बिक रहा था. लेकिन इस बार देश भर में प्याज की कमी को देखते हुए किसानों को उम्मीद थी कि 10 से 12 रुपए किलो तक प्याज बिकेगा. लेकिन लॉकडाउन की वजह से प्याज के भाव कम हुए हैं.

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बता दे कि सीकर जिले के प्याज की एक खास बात है कि यहां के प्याज मीठे प्याज के नाम से भी जाने जाते है. क्योंकि यह प्याज नासिक और अलवर में होने वाले प्याज के मुकाबले काफी कम तीखा होता है इस वजह से इस मौसम में इसकी मांग ज्यादा रहती है.

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