सीकर. राजस्थान के सीकर में ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की कमी नहीं है. ज्यादातर बसों और ट्रकों में प्रेशर हॉर्न लगे मिलेंगे जो बहुत तेज आवाज करते हैं. इसके साथ-साथ कई लोग अपनी बाइक का साइलेंसर निकाल कर रखते हैं और उससे बहुत तेज आवाज करते हैं. कई लोग छोटी गाड़ियों में भी ऐसा सिस्टम लगाकर रखते हैं, लेकिन कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं होता.
वाहन उड़ा रहे प्रदूषण नियमों की धज्जियां 3 महीने में एक भी कार्रवाई नहीं...
सीकर शहर की बात करें तो पिछले 3 महीने में यातायात पुलिस ने ध्वनि प्रदूषण की एक भी कार्रवाई नहीं की है. वाहनों की ध्वनि नापने के लिए पुलिस को यंत्र भी दिए गए थे, लेकिन इन यंत्रों को आज तक काम में नहीं लिया गया है. सीकर यातायात प्रभारी कैलाश यादव का कहना है कि पिछले 3 महीने में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन चल रहा था और लॉकडाउन खुलने के बाद भी नए नियम लागू करवाना पहली प्राथमिकता थी. इस वजह से ध्वनि प्रदूषण की कार्रवाई नहीं कर पाए.
उन्होंने कहा कि अब हर दिन ध्वनि प्रदूषण की कार्रवाई की जाएगी. इसके साथ ही यातायात के नए नियमों को लेकर और जुर्माने के प्रावधान को लेकर भी शहर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. यातायात पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान भी 21 लाख रुपए से ज्यादा के चालान काटे हैं. हालांकि, ध्वनि प्रदूषण की कार्रवाई नहीं हो पाई.
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2 हजार तक जुर्माने का प्रावधान...
प्रेशर हॉर्न या अन्य किसी भी तरह से ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई की बात करें तो दुपहिया वाहन और ऑटो रिक्शा के 500 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. इसके अलावा कार और जीप के लिए 1 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान है. पिकअप वालों के लिए 1500 रुपए का चालान किया जाता है. इसके अलावा ट्रक और ट्रेलर का 2 हजार रुपए का चालान किया जा सकता है. सीकर यातायात प्रभारी का कहना है कि अब इन वाहनों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जाएगी.