दातारामगढ़ (सीकर).खाटू श्यामजी के मेले में देश के कोने-कोने से करीब 35 से 40 लाख श्याम श्रद्धालु मेले के दौरान श्याम के दीदार के लिए यहां पहुंचते हैं. श्री कृष्ण भगवान ने वीर बर्बरीक को वरदान दिया था कि कलयुग में श्री कृष्ण के नाम और स्वरूप श्याम नाम से पूजे जाएंगे. आज के भक्त वीर बर्बरीक को खाटू श्याम बाबा, शीश के दानी, खाटू नरेश, कलयुग के अवतार, श्याम सरकार और तीन बाणधारी आदि नामों से जयकारे लगाते बाबा को सम्बोधित किया जाता है.
गौरतलब है कि जब वीर बर्बरीक ने अपनी माता से महाभारत के युद्ध में हिस्सा लेने की इच्छा प्रकट की. तब मां मोर्वी ने वीर बर्बरीक (बाबा श्याम) से वचन लिया कि तुम हारने वाले पक्ष का साथ दोगे. वीर बर्बरीक को तीन बाणों के साथ महाभारत युद्ध स्थल पर पहुंचने पर भगवान श्री कृष्ण ने रोका और वीर बर्बरीक की परीक्षा ली. उसमें सफल रहने पर श्री कृष्ण ने सोचा यह जिसकी ओर से युद्ध में भाग लेगा. सामने वाली सेना हारेगी और महाभारत के युद्ध में कौरवों की सेना हार रही थी.
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ऐसे में वीर बर्बरीक पांडव के विपक्ष में युद्ध करेंगे तो पांडवों की हार निश्चित है. श्री कृष्ण नहीं चाहते थे कि पांडवों की हार हो. ऐसे में कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से उनका सर धड़ से अलग कर दिया. महाभारत युद्ध के समापन पर जब फैसला कराने वीर बर्बरीक के पास पहुंचे तो उनके सही फैसले के उतर से सन्तुष्ट होकर भगवान श्री कृष्ण ने वरदान दिया. कालान्तर (कलयुग) में मेरे श्याम बाबा के नाम से पूजे जाओगे. आज वही वीर बर्बरीक का शीश खाटूधाम में बाबा श्याम के नाम से पूजे जाते हैं.