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Special: टोल बूथों पर किसानों का पहरा, 22 दिन से हैं बंद...सरकार को करोड़ों की चपत

किसानों के टोल मुक्त आंदोलन से राज्य सरकार को भले ही करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है लेकिन इससे टोल बूथों से गुजरने वाले वाहन चालकों की चांदी हो गई है. इन दिनों उन्हें टोल टैक्स देने से मुक्ति मिल गई है. सीकर जिले में कुल 12 टोल बूथ हैं लेकिन किसानों के आंदोलन के चलते सभी पिछले 22 दिनों से बंद हैं. बीते 6 फरवरी को चक्काजाम कर किसानों ने इन टोल बूथों को बंद करवा दिया था.

Loss of crores to government, Latest news from toll booths from Sikar, चालकों को नहीं देना पड़ रहा टोल टैक्स
सीकर के टोल बूथ 22 दिनों से बंद

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Published : Feb 27, 2021, 7:41 PM IST

Updated : Feb 27, 2021, 10:50 PM IST

सीकर.देश में चल रहे किसान आंदोलन ने कहीं समस्याएं खड़ी कर दी हैं तो कहीं इससे लोगों को कुछ सुविधा भी हो रही है. किसानों के टोल मुक्त के आह्वान के चलते सीकर जिले के सभी टोल बूथ पिछले 22 दिन से बंद हैं. 6 फरवरी को किसानों ने तीन घंटे के चक्काजाम के बाद सभी टोल को बंद करवा दिया गया था. उसके बाद से सभी टोल लगातार बंद हैं और इन पर किसान संगठन धरने पर निरंतर बने हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठन पूरी तैयारी के साथ इन पर निगरानी रख रहे हैं और टोल चालू नहीं होने दे रहे हैं. इन टोल के बंद होने से एक तरफ जहां वाहन चालकों की चांदी हो रही है वहीं सरकार को अब तक करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है. अकेले सीकर जिले के टोल बूथ पर हर दिन करीब 38 लाख रुपए का टोल वसूला जा रहा था. टोल संचालकों का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करें.

सीकर के टोल बूथ 22 दिनों से बंद

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सीकर में रसीदपुरा और अखेपुरा में एनएचएआई के टोल बूथ संचालित हैं. दोनों ही जिले के सबसे बड़े टोल में शुमार हैं. इसके अलावा दादिया, सेवद, दुजोद, भूमा, बलारां, चला, रलावता, लांपुवा,त्रिवेणी और खंडेला में राज्य सरकार के टोल बूथ संचालित हैं. इन सभी टोल बूथ पर हर दिन लाखों रुपए जमा होते हैं. टोल बंद होने से अब संचालकों के सामने अब किस्त भरने का संकट भी खड़ा हो गया है. वहीं केंद्र और राज्य सरकार को भी अब तक आठ करोड़ से ज्यादा रुपए की चपत लग चुकी है. सीकर के सभी टोल बूथ पर एक दिन में करीब 38 लाख रुपए जमा हो रहे थे और इस हिसाब से 22 दिन के कलेक्शन की बात करें तो आंकड़ां 8 करोड़ रुपये के पार जाता है. किसान संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानेगी तब तक टोल बंद रहेंगे.

टोल बूथ बंदी को लेकर प्रमुख तथ्य

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गांवों के हिसाब से लगती है ड्यूटी, रात को टोल पर ही सोते हैं किसान

किसानों ने टोल बूथ को बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से बंद करवा रखा है. टोल के आसपास के गांवों के किसानों ने यहां टेंट लगा रखे हैं. 24 घंटे यहां किसान बैठे रहते हैं और यहीं पर खाना बनता है. हर दिन गांवों के हिसाब से यहां ड्यूटी लगती है और 24 घंटे बाद दूसरे गांव के किसान आ जाते हैं.

टोल बंदी से नुकसान

सीकर के टोल से प्रतिदिन आने वाला राजस्व

  • रसीदपुरा टोल: हर दिन करीब 10 लाख रुपये का कलेक्शन हो होता है.
  • अखेपुरा टोल : जिले का सबसे बड़ा टोल है, हर दिन 15 लाख का कलेक्शन होता है.
  • दादिया टोल: रोजाना करीब 3 लाख 50 हजार रुपए आते हैं.
  • सेवद टोल: हर दिन करीब 1 लाख का टोल कलेक्शन होता है.
  • दुजोद टोल: हर दिन करीब एक लाख 70 हजार का टोल कलेक्शन होता है.
  • भूमा टोल: हर दिन करीब एक लाख 70 हजार का टोल कलेक्शन होता है.
  • बलारां टोल: यहां हर दिन करीब एक लाख रुपए का टोल कलेक्शन होता है.
  • चला टोल : यहां हर दिन करीब 2 लाख रुपए आते हैं.
  • रलावता टोल: यहां हर दिन करीब एक लाख 70 हजार रुपए आते हैं.
  • लांपुवा टोल: यहां हर दिन करीब 90 हजार रुपए का टोल जमा होता है.
  • त्रिवेणी टोल: यहां हर दिन करीब 1 लाख 40 हजार रुपए जमा होते हैं.
  • खंडेला टोल: यहां हर दिन करीब 1करीब 30 हजार का टोल संग्रहण होता है.
Last Updated : Feb 27, 2021, 10:50 PM IST

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