सीकर.देश में चल रहे किसान आंदोलन ने कहीं समस्याएं खड़ी कर दी हैं तो कहीं इससे लोगों को कुछ सुविधा भी हो रही है. किसानों के टोल मुक्त के आह्वान के चलते सीकर जिले के सभी टोल बूथ पिछले 22 दिन से बंद हैं. 6 फरवरी को किसानों ने तीन घंटे के चक्काजाम के बाद सभी टोल को बंद करवा दिया गया था. उसके बाद से सभी टोल लगातार बंद हैं और इन पर किसान संगठन धरने पर निरंतर बने हुए हैं. संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल किसान संगठन पूरी तैयारी के साथ इन पर निगरानी रख रहे हैं और टोल चालू नहीं होने दे रहे हैं. इन टोल के बंद होने से एक तरफ जहां वाहन चालकों की चांदी हो रही है वहीं सरकार को अब तक करोड़ों रुपए की चपत लग चुकी है. अकेले सीकर जिले के टोल बूथ पर हर दिन करीब 38 लाख रुपए का टोल वसूला जा रहा था. टोल संचालकों का कहना है कि सरकार जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करें.
सीकर में रसीदपुरा और अखेपुरा में एनएचएआई के टोल बूथ संचालित हैं. दोनों ही जिले के सबसे बड़े टोल में शुमार हैं. इसके अलावा दादिया, सेवद, दुजोद, भूमा, बलारां, चला, रलावता, लांपुवा,त्रिवेणी और खंडेला में राज्य सरकार के टोल बूथ संचालित हैं. इन सभी टोल बूथ पर हर दिन लाखों रुपए जमा होते हैं. टोल बंद होने से अब संचालकों के सामने अब किस्त भरने का संकट भी खड़ा हो गया है. वहीं केंद्र और राज्य सरकार को भी अब तक आठ करोड़ से ज्यादा रुपए की चपत लग चुकी है. सीकर के सभी टोल बूथ पर एक दिन में करीब 38 लाख रुपए जमा हो रहे थे और इस हिसाब से 22 दिन के कलेक्शन की बात करें तो आंकड़ां 8 करोड़ रुपये के पार जाता है. किसान संगठनों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांग नहीं मानेगी तब तक टोल बंद रहेंगे.