सीकर. प्याज का तड़का लगते ही सब्जी का स्वाद बदल जाता है. प्याज चाहे कितना भी लोगों को रूला ले, लेकिन इसकी डिमांड हमेशा ही मार्केट में बनी रहती है. यह प्याज, खाने वालों को तो रूला ही रही है. साथ ही अब इसे उगाने वालों की आंखों में भी आंसू हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि आम आदमी को प्याज चाहे कितने भी ज्यादा दाम में मिलती हो, लेकिन इसका उत्पादन करने वाले किसानों को इसकी सही कीमत नहीं मिल पाती है.
सीकर जिले की बात करें तो यहां प्रदेश में सबसे ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है, लेकिन यहां का प्याज जब बाजार में आता है, तो इसका भाव बहुत कम हो जाता है. जिले में प्याज फरवरी-मार्च महीने में बाजार में आता है. उस वक्त किसानों को 2 से 5 रुपए किलो में प्याज बेचना पड़ता है, क्योंकि थोक में यही भाव किसानों को मिल पाता है.
मंगवाई जा रही हल्की क्वालिटी की प्याज...
वहीं इस समय जिले में जो प्याज आता है, वह महाराष्ट्र से आता है. महाराष्ट्र से आने वाला प्याज भी इस साल फिलहाल 8 से 10 रुपए किलो थोक के भाव बिक रहा है, जबकि पिछले साल इस महीने में महाराष्ट्र का प्याज 20 रुपए किलो तक बिक रहा था. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि बाजार में प्याज की खपत काफी कम हो रही है. पहले ट्रांसपोर्ट कम होने के कारण प्याज के भाव कुछ ऊपर गए थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. इस वजह से यहां के व्यापारियों ने हल्की क्वालिटी का प्याज मंगवाना शुरू कर दिया है.
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