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ट्रैफिक रेड सिग्नल: नागौर में हर साल सड़क हादसों में जाती है 400 जान, फिर भी नहीं ले रहे हैं लोग सबक

पूरे देश सहित राजस्थान में भी नए मोटर व्हीकल एक्ट के बाद सड़कों का नजारा बदल गया है. ऐसे में यातायात नियमों की पालना को लेकर ईटीवी भारत 'ट्रैफिक रेड सिग्नल' एक स्पेशल प्रोग्राम चलाया है. जिसमें ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर हमारी टीम शहर के मुख्य चौराहों पर जाकर मौका स्थिति का जायजा लेती है. ऐसे में नागौर की यातायात व्यवस्था कैसी है. देखिए इस स्पेशल रिपोर्ट में...

nagaur New Traffic Rules, नागौर नए ट्रैफिक नियम

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Published : Sep 28, 2019, 10:49 PM IST

नागौर.जिले में यातायात नियमों की अनदेखी, तेज रफ्तार और ओवरटेक के कारण होने वाले हादसों की संख्या में हर दिन इजाफा हो रहा है. बीते 3 सालों में आंकड़े बताते हैं कि हर साल करीब 400 लोग इन हादसों के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. लेकिन फिर भी यातायात नियमों की पालना को लेकर लोग उतने जागरूक नहीं हैं. जितने होने चाहिए.

नागौर में हर साल सड़क हादसों में जाती है 400 जान, फिर भी नहीं ले रहे हैं लोग सबक

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तेज रफ्तार और ओवरटेक जैसी गंभीर लापरवाही हो या हेलमेट-सीट बेल्ट नहीं पहनने जैसे यातायात के मामूली नियमों की पालन करने की बात नागौरवासी गंभीरता से नहीं समझ पा रहे हैं और इसकी कीमत लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है. नागौर के प्रमुख चौराहों पर देखें तो बिना हेलमेट के दोपहिया वाहन चाल चलाते चालक काफी संख्या में मिल जाते हैं. इसी तरह तीन सवारी बैठाकर बाइक चलाना हो या बिना सीट बेल्ट कार चलाना जैसे यातायात नियमों की अनदेखी करना लोगों की आदत में शुमार है.

नागौर में साल 2016 में दुर्घटना के आंकड़े
नागौर में साल 2017 में दुर्घटना के आंकड़े
नागौर में साल 2018 में दुर्घटना के आंकड़े
नागौर में साल 2019 (जनवरी से अगस्त तक) में दुर्घटना के आंकड़े

बात अगर नागौर शहर की करें तो यातायात पुलिस ने यातायात नियमों की पालना के लिए 10 चेकपॉइंट्स बना रखे हैं. जिन पर नियमित तौर पर यातायात पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं. यातायात थाने के प्रभारी रामकुमार जिला का कहना है की रोज 60 से 70 चालान काटे जा रहे हैं. शहर के भीतरी इलाकों के जो चौराहे हैं. वहां बाइक पर तीन सवारी और नंबर प्लेट नहीं होने के मामलों के चालान ज्यादा होते हैं. जबकि शहर के बाहरी इलाके के जो चौराहे हैं. वहां हेलमेट और सीट बेल्ट संबंधी चालाकी संख्या ज्यादा रहती है.

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वहीं शहर के लोगों का भी मानना है की यातायात व्यवस्था उतनी मुस्तैद नहीं है. जितनी होनी चाहिए. लेकिन इसके लिए कहीं ना कहीं वह आम लोगों को भी जिम्मेदार मानते हैं. ऐसे में हादसों का आंकड़ा का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है.

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