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Special: वाटर होल पद्धति से गणना में कम हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर, अब गांव-गांव जाकर गिनती करेगा वन विभाग

राजस्थान के बाकी जिलों की तरह नागौर में भी वन्य जीवों की गणना वाटर होल पद्धति से की जाती है. लेकिन इस साल जून में की गई गणना में राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या में कमी देखने को मिल रही है, जबकि वन विभाग का कहना है कि जिले में मोरों की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है. ऐसे में अब वन विभाग ने गांव-गांव जाकर मोरों की गिनती करने की योजना बनाई है. देखिए खास रिपोर्ट.

National bird peacock reduced in count
गणना में कम हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर

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Published : Oct 6, 2020, 8:40 PM IST

नागौर.जिले के साथ ही पूरे प्रदेश में वाटर होल पद्धति से हर साल वन्य जीवों की गणना की जाती है. इस पद्धति में वन विभाग के कर्मचारी और वन्य जीवों में रुचि रखने वाले स्वयंसेवक जंगल में मौजूद पानी के स्रोतों के पास 24 घंटे निगरानी रखते हैं और वन्य जीवों की गणना करते हैं. इस पद्धति से जिले में वन्य जीवों की संख्या का आंकलन किया जाता है. इस साल जून के महीने में पूर्णिमा की चांदनी रात में जिलेभर में वन्य जीवों की गणना की गई थी. इस गणना में जिले में चिंकारा और काले हिरण जैसे वन्य जीवों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, लेकिन राष्ट्रीय पक्षी मोर की संख्या अपेक्षाकृत कम पाई गई है.

गणना में कम हुए राष्ट्रीय पक्षी मोर

मोर की संख्या में कमी आने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि जिले में मोर ग्रामीणों के साथ इस हद तक घुल मिले रहते हैं कि उन्हें दाना-पानी भी गांवों से ही मिल जाता है. इसलिए मोर पानी और दाने की तलाश में जंगल की तरफ कम ही रुख करते हैं, लेकिन फिर भी वन्य जीव गणना में मोरों की तादाद अपेक्षाकृत कम आना वन विभाग के साथ ही जिला प्रशासन के लिए भी चिंता का कारण बन गया है. इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि गांव-गांव जाकर मोरों की संख्या का सटीक आंकलन किया जाएगा.

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वन विभाग के उपवन संरक्षक ज्ञानचंद मकवाना बताते हैं कि हर साल आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन वन्य जीवों की गणना की जाती है. लेकिन इस बार एक महीने देरी से यानी ज्येष्ठ की पूर्णिमा पर वाटर होल पद्धति से वन्य जीवों की गणना की गई थी. इसके लिए जिले में 110 वाटर होल चिह्नित कर वहां वन विभाग के 240 कर्मचारियों को तैनात किया गया है. इन्होंने 24 घंटे तक पानी के स्रोतों पर निगरानी रखकर वन्य जीवों की गिनती की.

वन विभाग की टीम करेगी गणना

आंकलन में सामने आया है कि जिले में काला हिरण और चिंकारा बहुतायत में हैं. जहां 3086 चिंकारा इस गणना के दौरान जिले में दिखाई दिए. वहीं, 5,199 काले हिरण भी वन कर्मियों को नजर आए. वन विभाग की रिपोर्ट बताती है कि जिले में पानी के स्रोतों के आसपास 8,656 मोर भी दिखाई दिए. हांलाकि वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जिले में राष्ट्रीय पक्षी मोर की वास्तविक संख्या इससे कहीं ज्यादा है. इसलिए अब सर्दियों में मोरों की वास्तविक संख्या का आंकलन करने की कवायद शुरू की जा रही है. उपवन संरक्षक बताते हैं कि आगामी सर्दी में वन विभाग के कर्मचारी गांव-गांव जाकर मोर की गणना करेंगे. इससे जिले में मोरों की संख्या का सटीक आंकलन करने में आसानी होगी.

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जिले में चिंकारा और काले हिरण की संख्या बढ़ना सुखद संकेत
नागौर में की गई वन्य जीव गणना में 3089 चिंकारा मिले हैं. इनमें 1,474 नर, 1,418 मादा और 60 बच्चे शामिल हैं. इसी तरह 5,199 काले हिरण भी दिखे हैं जिनमें 2054 नर, 2424 मादा और 696 बच्चे शामिल हैं. विभागीय आंकड़े बताते हैं कि जिले में चिंकारा की संख्या 350 और काले हिरण की तादाद 400 के आसपास बढ़ी है. इसके अलावा नीलगाय 6,296 की संख्या में सामने आई है. जिले में चिंकारा और काले हिरण की संख्या में बढ़ोतरी को वन्य जीव प्रेमी सुखद संकेत मान रहे हैं.

इस साल जून में की गई वन्य जीव गणना में जिले में सियार, जंगली बिल्ली, मरु बिल्ली और लोमड़ी जैसे वन्य जीव भी दिखाई दिए हैं। वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि नागौर में सियार 141 हैं. जबकि पांच जरख भी दिखे हैं. जंगली बिल्ली 62, मरु बिल्ली 37, रस्कि स्पॉटेड केट 88, लोमड़ी 228, मरु लोमड़ी 50, भेड़िया 31, जंगली सुअर 82 दिखे हैं। इसके अलावा 35 सेही भी वन्य जीव गणना के दौरान नागौर के जंगलों में दिखाई दी है.

प्रवासी पक्षियों की गणना को लेकर कोई नीति नहीं

नागौर जिले की डीडवाना झील और सांभर झील में हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं जिनमें लेजर और ग्रेटर फ्लेमिंगो की खासी तादाद होती है. लेकिन इनकी गणना को लेकर अभी तक वन विभाग में कोई स्पष्ट नीति नहीं है.

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