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नागौर के श्रवण ने कागज से की कृष्णलीला साकार, 8000 कलाकरों के बीच मिला तीसरा स्थान

पांच साल पहले जब श्रवण कुमार ने पेपर कोलाज बनाकर भगवान श्रीकृष्ण के रास को साकार किया था तब उन्हें भी नहीं पता था कि यही कलाकृति उन्हें ख्याति दिलाएगी.

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Published : May 25, 2019, 10:03 PM IST

श्रवण कुमार की कलाकृतियां

नागौर. पेंटिंग शब्द सुनते ही सबसे पहले दिमाग में आता है रंग, कूची और कैनवास. लेकिन नागौर के श्रवण कुमार सोनी बिना रंग-कूची के कलाकृतियां बनाते हैं. हाल ही में नई दिल्ली में एक आर्ट गैलरी की ओर से आयोजित हुई प्रतियोगिता में उन्होंने अपनी कृष्णरास की कलाकृति के साथ नॉमिनेशन करवाया था. शनिवार को घोषित हुए परिणाम में उनकी रचना को 50 देशों के 8000 कलाकारों की 12000 कलाकृतियों के बीच तीसरा स्थान मिला है. आगामी 29 जून को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में होने वाली अवार्ड सेरेमनी में उन्हें सिल्वर मैडल और 10 हजार रुपए का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा.

परिवारजन के साथ श्रवण कुमार जीत का जश्न मनाते हुए


पेंटिंग के लिए वे रंगीन कागज के टुकड़ों का इस्तेमाल करते हैं. कला जगत में इसे पेपर कोलाज कहा जाता है. करीब पांच साल पहले श्रवण कुमार ने इसी कला का इस्तेमाल कर भगवान श्रीकृष्ण के रास को साकार किया था. तब शायद उन्हें भी नहीं पता था कि उनकी यह कलाकृति उन्हें दुनियाभर के कलाकारों के बीच प्रसिद्धि दिला देगी. श्रवण कुमार बताते हैं कि 29 जून को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में होने वाली अवार्ड सेरेमनी में उन्हें सिल्वर मैडल और 10 हजार रुपए का नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाएगा. इस मौके पर दुनियाभर के 200 से भी अधिक कलाकार मौजूद रहेंगे.

श्रवण कुमार की इस उपलब्धि पर परिजनों और उनके दोस्तों एवं कला जगत से जुड़े लोगों को उन पर गर्व है. कला जगत के लोगों ने इस मौके पर श्रवण कुमार को माला पहनाकर और दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया. तो वहीं परिजनों ने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की. पेशे से सरकारी स्कूल में शिक्षक श्रवण कुमार पढ़ाई में रचनात्मकता के नूतन प्रयोग के कारण विद्यार्थियों में चर्चित हैं. उल्लेखनीय है कि उन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान भी मिल चुका है.

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