नागौर. मानसून के सीजन में इस साल जिले में कम बारिश हुई. इसका असर यह हुआ कि ग्रामीण इलाकों में पेयजल का परंपरागत स्रोत माने जाने वाले तालाबों में पानी की कम आवक हुई है. ऐसे में इस साल सर्दी आने से पहले ही कई ग्रामीण इलाकों में पीने के पानी का संकट गहराने लगा है. जिले में डीडवाना इलाके के सेवा गांव में कमोबेश यही हालत हैं. ऐसे में मंगलवार को ग्रामीण एसडीएम से मिले और ज्ञापन दिया है.
सेवा गांव के ग्रामीणों का कहना है कि आमतौर पर गर्मियों में पेयजल संकट होता है, लेकिन इस साल मानसून के सीजन में कम बारिश होने से गांव के तालाब में पानी की आवक बहुत कम हुई है. ऐसे में सर्दी शुरू होने से पहले ही गांव में पेयजल संकट गहराने लगा है.
एसडीएम को दिए ज्ञापन में ग्रामीण बताते हैं कि आमतौर पर गांव के तालाब के पानी से आसपास के गांवों के लोग भी अपनी प्यास बुझाते हैं, लेकिन इस साल कम बारिश हुई है. अब गांव के लोगों के साथ ही मवेशियों के लिए भी तालाब का पानी पर्याप्त नहीं पड़ रहा है. जहां उनके गांव का तालाब साल भर भरा रहता था. वहीं, इस बार सर्दियों से पहले ही तालाब का पानी सूखने लगे है.
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ऐसे में ग्रामीणों के साथ ही पशुधन के लिए भी पानी का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है. ग्रामीण बताते हैं कि यह तालाब ही पेयजल का प्रमुख स्रोत है. अभी उनका गांव इंदिरा गांधी नहर परियोजना से जुड़ नहीं पाया है और अपनी प्यास बुझाने का दूसरा कोई विकल्प भी ग्रामीणों के पास नहीं है. एसडीएम को दिए ज्ञापन में ग्रामीणों ने मांग रखी है कि उनके गांव में पीने के पानी का समुचित प्रबंध करवाया जाए. जिससे गांव के लोगों को परेशानी नहीं उठानी पड़े.