नागौर. देश की सरहद की सुरक्षा करते शहीद हुए हेमेंद्र गोदारा का उनके पैतृक गांव नागौर के इंदास में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के दौरान परिजनों के साथ पूरा गांव जुटा रहा और भारत माता की जय , जय हिन्द के नारे गूंजते रहे. परिजनों और साथियों की आंखों में जहां आंसू थे तो वहीं दिल में गर्व भी. सीमा पर शहीद इस वीर सपूत को श्रद्धांजलि देने के लिए तमाम स्थानीय नेता और पदाधिकारी भी मौजूद रहे.
सेना में राजपूताना राइफल के नायक के पद पर तैनात 32 साल के हेमेंद्र गोदारा जम्मू कश्मीर के सियाचीन में 13 हजार फ़ीट ऊंची बर्फीली चोटी पर तैनात थे. इस दौरान बहुत ज्यादा सर्दी होने से वे बीमार हो गए. उनको सांस लेने में दिक्कत आने लगी तो दस सितंबर को उनकी हालत बिगड़ गई थी. इसके बाद उन्हें 14 सितंबर से चंडीगढ़ स्थित आर्मी हॉस्पिटल में लाया गया, लेकिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
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शहीद हेमेंद्र गोदारा के पार्थिव शरीर को शुक्रवार देर रात नागौर के जेएलएन अस्पताल लाया गया. शनिवार सुबह नागौर से उनके पैतृक गांव इंदास ले जाने के दौरान शहर सहित आस-पास क्षेत्र के लोग अंतिम विदाई देने गांव पहुंचे. 12 किलोमीटर लंबे सफर के दौरान हर सड़क के दोनों तरफ एकत्र बड़ी संख्या में जुटे लोगों ने नम आंखों से शहीद को अंतिम विदाई दी. हजारों लोगों की मौजूदगी में सेना का वाहन पार्थिव शरीर लेकर इंदास गांव में हेमेंद्र के घर पहुंचा.
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शहीद की मां और पत्नी के पार्थिव शरीर के पास पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया. श्मशान स्थल पर पर शहीद को उनकी बटालियन से आये सैन्य अधिकारियों और जवानों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए. इसके बाद हिमताराम भांभू, नागौर के पूर्व सांसद सीआर चौधरी, नागौर विधायक मोहन राम, खींवसर विधायक नारायण बेनीवाल, ADM मोहनलाल खटनावलिया, ASP राजेश मीना जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कर्नल मुकेश शर्मा सहित कई ग्राम पचायतों के सरपंच और पंचायत समिति सदस्य सहित कई जनप्रतिनिधि भी शहीद को नमन करने इंदास गांव पहुंचे.
देशभक्ति के जयकारों के बीच शहीद हेमेंद्र के सबसे बड़े बेटे देवेंद्र और छोटे भाई मूलाराम ने मुखाग्नि दी. जानकारी के मुताबिक शहीद हेमेंद्र के परिवार में माता-पिता, 2 छोटे भाई, पत्नी और 3 बेटे हैं. इंदास निवासी बाबूलाल गोदारा के बड़े बेटे शहीद हेमेन्द्र गोदारा के भाई मूलाराम गोदारा गांव में ही टेंट व्यवसाय का काम करते हैं. हेमेन्द्र का बड़ा बेटा 7 साल, मंझला बेटा 4 साल और सबसे छोटा बेटा नौ महीने का है. करीब पांच महीने पहले एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हेमेन्द्र अपने गांव आए थे.