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निकाय चुनावः जीत की डोर खींचने की कवायद... भाजपा प्रत्याशियों के साथ निर्दलीयों की भी बाड़ाबंदी - निर्दलीयों की बाड़ेबंदी

जिले में 9 नगर निकायों में हुए मतदान के बाद भाजपा ने बोर्ड बनाने को लेकर कवायद तेज कर दी है. नागौर नगर परिषद में हुए चुनाव के बाद सदन का सिरमौर किस पार्टी का होगा, इसके कयास लगाए जाने लगे हैं. अब भाजपा प्रत्याशियों के साथ निर्दलीयों की भी बाड़ेबंदी शुरु हो गई.

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नागौर नगर परिषद...

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Published : Jan 30, 2021, 8:02 PM IST

नागौर. जिले में 9 नगर निकायों में हुए मतदान के बाद भाजपा ने बोर्ड बनाने को लेकर कवायद तेज कर दी है. नागौर नगर परिषद में हुए चुनाव के बाद सदन का सिरमौर किस पार्टी का होगा, इसके कयास लगाए जाने लगे हैं. अब भाजपा प्रत्याशियों के साथ निर्दलीयों की भी बाड़ेबंदी शुरु हो गई.

नागौर में भाजपा प्रत्याशियों के साथ निर्दलीयों की भी बाड़ेबंदी...

चाहे सट्टा बाजार हो या चाय की थड़ियां, होटले या गली मोहल्लों में, बैठके जारी हैं. नागौर नगर परिषद के 59 वार्डों में हुए चुनाव के बाद जो गणित सामने आया है, उसके अनुसार एक बार फिर निर्दलीय प्रत्याशी की अहम भूमिका रहेगी. नागौर नगर परिषद शहरी सरकार का अगला मुखिया बनाने को लेकर भाजपा के सभी प्रत्याशियों को प्रशिक्षण के नाम पर होटल मे रखा गया है. नागौर नगर परिषद चुनाव में 233 प्रत्याशी खड़े हुए थे, जिनमें से सबसे ज्यादा 52 कांग्रेस, 38 भाजपा, 12 प्रत्याशी आरएलपी से मैदान में उतरे. जबकि, 130 निर्दलीय चुनाव में खड़े हुए.

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गुरुवार को मतदान के बाद जो समीकरण सामने आए हैं. उसके मुताबिक, शहरी सरकार बनाने में गेम चेंजर की भूमिका निर्दलीय ही निभाएंगे. वहीं, 53 में से कांग्रेस से वार्ड 35 से एक प्रत्याशी पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुका है. साथ ही, भाजपा के मुकाबले कांग्रेस का पलड़ा भारी माना जा रहा है. ऐसे में दोनों पार्टियों से सभापति दावेदारों के सामने अब बड़ी चुनौती यह है कि वो जिताऊ निर्दलीय प्रत्याशियों में से कितने अपने पाले में कर पाती हैं, उससे ही नगर परिषद का बोर्ड बनाने में आसानी होगी.

इधर, 59 वार्डों में चुनाव होते ही देर शाम पार्टियों और सभापति दावेदारों की जोड़-तोड़ की गणित के लिए अलग-अलग होटलों व कार्यालयों में बैठकें हुई. जिताऊ गेम चेंजर निर्दलीयों को लेकर बाड़ाबंदी की तैयारियां भी देर रात शुरू कर दी गई. अब खबर है कि नागौर भाजपा के प्रत्याशियों के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशियों की भी बड़े बंदी कर दी गई है. भाजपा से जिन प्रत्याशियों को सभापति दावेदार माना गया है, उसमें से अधिकांश कड़े मुकाबले में फंसे नजर आ रहे हैं.

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भाजपा से पूर्व सभापति बिरदीचंद की पत्नी रमा और वार्ड एक से प्रत्याशी मनोहर सिंह को भी चुनौती मिली है. हालांकि, हार-जीत का फैसला 31 जनवरी को ही होगा. फिलहाल जो भी हो, सभापति पद के दावेदारों ने बाड़ाबंदी शुरू कर दी है. सभापति पद हासिल करने के लिए प्रमुख दावेदारों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. जीताऊ प्रत्याशियों को अभी से अपने कब्जे में लेने की प्रक्रिया मतदान के तत्काल बाद शुरू हो गई है. पार्टी जिसको सभापति का चेहरा बनाएगी, उसके विरोध में बाकी गुटों में बंटने का खतरा है. क्योंकि, इनमें से अधिकतर प्रचार में एक-दूसरे के विरोध में खड़े रहे हैं. इधर, भाजपा से चुनाव लड़ने वाली चांदनी सांखला बड़ा चेहरा माना गया है. पार्टी से पूर्व सभापति रहे बिरदीचंद सांखला ने पत्नी रमा को निर्दलीय मैदान में उतारा है, हालांकि तस्वीर अभी साफ नहीं है.

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