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15 साल पहले बड़ी बहन बनी थी जैन साध्वी, अब बसंत पंचमी पर दीक्षा लेंगी नागौर की प्रियंका नाहर - राजस्थान की खबर

नागौर की प्रियंका नाहर गुरुवार को जैन साध्वी के रूप में दीक्षा लेंगी. ऐसे में साध्वी का कहना है कि सांसारिक जीवन त्यागकर संयम पथ अंगीकार करना एक अलग ही महत्व रखता है. बता दें कि उनकी बड़ी बहन ने 15 साल पहले सांसारिक जीवन छोड़कर जैन धर्म की साध्वी के रूप में दीक्षा ली थी. अब प्रियंका भी अपनी बड़ी बहन के पद चिन्हों पर चल निकली हैं.

Priyanka Nahar take initiation, दीक्षा लेंगी नागौर की प्रियंका नाहर
दीक्षा लेंगी नागौर की प्रियंका नाहर

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Published : Jan 29, 2020, 11:28 PM IST

नागौर. शहर की ऐतिहासिक विरासत को सींचने में जैन धर्म का अपना ही एक अलग योगदान रहा है. ऐसे में जैन धर्म की भक्ति धारा में अब एक नया नाम नागौर की प्रियंका नाहर का जुड़ने जा रहा है. जो गुरुवार को सांसारिक जीवन को हमेशा के लिए त्यागकर संयम का पथ अंगीकार कर लेंगी. सांसारिक जीवन से उनकी विदाई के लिए बख्तसागर तालाब के पास स्थित जैन मंदिर में बुधवार को भव्य आयोजन हुआ.

दीक्षा लेंगी नागौर की प्रियंका नाहर

कॉमर्स में पोस्ट ग्रेजुएट प्रियंका के संयम पथ पर आगे बढ़ने का फैसला करने की कहानी भी अपने आप में साधारण नहीं है. उनकी बड़ी बहन ने आज से 15 साल पहले संयम पथ अंगीकार किया था. बाद में जब प्रियंका कभी कभार उनसे मिलने जाती तो धीरे-धीरे उनका भी झुकाव इस पथ की ओर होने लगा. आखिरकार उन्होंने भी इसी पथ पर आजीवन चलने का फैसला कर लिया.

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प्रियंका ने बताया कि उनके पिता की सात संतानें हैं. पांच बेटियां और दो बेटे. आज से करीब 15 साल पहले प्रियंका की सबसे बड़ी बहन ने त्याग और संयम का पथ अपना लिया था. उनसे छोटी दो बहनें शादीशुदा हैं और गृहस्थ जीवन जी रही हैं. प्रियंका अपने माता-पिता की चौथी संतान हैं. उनसे छोटी एक बहन और दो भाई हैं.

उनका कहना है कि यह फैसला लेना उनके लिए इतना आसान नहीं था. पहले तो खुद को त्याग और संयम की राह पर चलने के लिए तैयार किया. लेकिन इससे भी कठिन काम था अपने परिजनों को इसके लिए तैयार करना. लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ सही होता गया और आखिरकार माता-पिता ने भी इसके लिए अनुमति दे दी.

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पहले बड़ी बेटी और अब प्रियंका के संयम पथ पर चलने का फैसला करने के सवाल पर पिता चंचलमल नाहर ने बताया कि हर माता-पिता चाहते हैं कि उनकी संतान काबिल बने. यदि मेरी दो बेटियों ने भगवान महावीर के बताए रास्ते पर चलकर जैन धर्म की सेवा करने का फैसला लिया है, तो इससे बड़ा सौभाग्य एक पिता के लिए क्या होगा. हालांकि, वे यह भी कहते हैं कि एक पिता के रूप में कभी-कभी दुख होता है, लेकिन इस बात का गर्व कहीं ज्यादा है कि उनकी दो बेटियां धर्म के रास्ते पर चलकर लोगों को जीने की नई राह दिखाएंगी.

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